Palak Sharma   (Palak Sharma)
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ताण्डव छाया

Published author
Joined 11 February 2018


ताण्डव छाया

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Joined 11 February 2018
10 HOURS AGO

फ़ासला कम होने अब मुझे उम्मीद सी होने लगी है,
लगता है ख़ुदा को आख़िरकार मेरी तड़प दिखने लगी है।

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30 APR AT 8:08

Crowned through time
(Read Caption)

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28 APR AT 8:34

हम कोशिश कर भी लें उभरने की इस मर्ज़ से,
लेकिन तेरे इश्क़ का सुरूर अभी उतरा कहाँ है।

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28 APR AT 8:04

अगर बोलकर ही समझाना पड़े मुझे प्यार अपना
तो मेरी जान फिर ये ऐतबार कैसा?

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27 APR AT 23:54

ज़िंदगी बदल रही है मेरी हर पहलू में,
दोस्त नए, काम नया, किरदार भी नया।
लेकिन इस बदलाव से झिझक मुझे कोई नहीं।
शायद सच ही कहते हैं कुछ लोग,
कि त्रिनेत्रधारी तुम्हें बुलाता तो है,
लेकिन तब जब तुम, तुम जैसे बच्चों नहीं।
अच्छा ही है, ख़ैर, यह परिवर्तन भी।
मन शांत, आत्मा स्थिर, अजीब सी यह शक्ति है।
भक्ति तो अब पीछे छूट गई है मेरे सफर में,
क्योंकि अब शिव और उनकी इस पुत्री में अंतर अब कोई नहीं।
शिवोऽहम।
हर हर महादेव।

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27 APR AT 4:38

अघोर का सफ़र
Aghor Ka Safar
(Read Caption)

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23 APR AT 10:34

Gruesome Artwork - A Prayer drenched in blood
(Read Caption)

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23 APR AT 10:27

आख़िरी बार मिलने की ख्वाहिश है,
साँसें चंद ही हैं बाक़ी मेरी।
उन्हीं तेरी बाहों में लेने की ख्वाहिश है,
जीते जी तुमने थामा नहीं कभी हाथ मेरा,
मर के तुझसे 'दिलबर' सुनने की ख्वाहिश है।

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21 APR AT 11:03

शिव से बातें करनी शुरू कर दी है मैंने,
वो भी मेरी बचकानी ज़िद को सुनने लगे हैं।
गुज़र रहे हैं दिन मेरे उनका नाम जपते-जपते,
वो भी अब मुझे अपने पास बैठाने लगे हैं।

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21 APR AT 10:36

नज़रअंदाज़ तो वो मुझे यूँ ही कर देता है,
जैसे मेरी उसकी नज़र में कोई क़ीमत नहीं।
हम फिर भी उसी को निहारते रहते हैं एकटक,
क्योंकि हमारी नज़र उसकी नज़र में सीमित नहीं।

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