उसमे पतझड़ के पेड़ों सा ठहराव था
समंदर की लहरों सा शोर भी
उसमे क्या था पता नही
उसमे कभी न बुझने वाली रोशनी थी
एक अंधेरा उसमे हमेशा कायम रहा
वो ज़िंदगी को तलाशती थी
हवाओं में, फूलों में, चांद में,
मालिक की गोद में, नदियों में, ख्वाबों में
एक दूसरी दुनिया में है वो
एक और दुनिया उसके इंतज़ार में है।
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When I want to get my wounds embraced in a woman's arms, I do it not because I share friendship with her but because I believe in this beautiful thing called womanhood, I believe in the beauty of when a woman truly appreciate another woman, because I see woman I want to retain something from in her, because I love the "individual beauty" of her's, and so when she asks "how are you ?" and I say settling my anxieties that I am fine, and when she replies with, "Yes, be fine only" firmly, I own that thing, that fineness, that quiet that comes after the Crescendo of the previous night, I become a woman of value in that time, I own my life in that moment.
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जब मै दिन के उजाले में
अपने कमरे में सो रही हूं
बिना इस बात की परवाह किए
की मेरे दरवाज़े के बाहर
एक शोर वाली दुनिया है
जिसका हिस्सा मुझे होना था
पर मैं हुई नही
मुझे मेरे कमरे में आती
इस धीमी धीमी धूप से प्यार है
ये वक्त मुझसे प्यार करता है
और मुझे इस वाले प्यार से प्यार है
इस लम्हे में खुद को
बहुत आज़ाद महसूस कर रही हूं
/शहर-
You deserved all the love and compassion all these years when instead you received desolation, isolation, half baked love, and impermanency.
But remember this, no one in this world is entitled to love you but you, so love yourself in little ways possible. May love find you when you least expect, where you least expect. 🫂❤️-
How much does it take to forget someone?
How much does it take to pull off all the people,
Residing within your soul and blood
And hence become completely yourself ?
Those who have passed are past
That past moans for me, haunts me
I have seen the tree in front of my house,
All green once,
Now mourning for its shedded leaves
The tree — old, wearied, experienced, looks beautiful,
Amongst all its fellow mates,
With only its branches left now
I too— wan, tired, experienced, looks beautiful,
gazing aimlessly at my fellow friend, asking
— How much does it take to forget someone?
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मौन रहना अनंत पीड़ा का परिचय है
शून्य में बैठे बैठे जीवन को देखना
चुप रह जाना कुछ न कहना
अनंत पीड़ा का ही तो परिचय है
ये दुःख लग जाना इसकी आदत हो जाना
और अपने ज़ख्मों पर प्रेम से हाथ फेरना
खुद को ही गले से लगा लेना ताकि
अपने ज़ख्म महफूज रख सको
अनंत पीड़ा का ही तो परिचय है
कि सुई चुभने पर रोया जाता है
खंजर के साथ उतना वक्त नही मिलता
सीधे मौत होती है!
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हम जिसे ढूंढ रहे होते है
वो हमारे ही अंदर का एक
अधूरा और नाकाम हिस्सा होता है
जो की इंसान कि शक्ल ले लेता है
और हमें लगने लगता है कि
हम किसी आदमी को ढूंढ रहे हैं-
मुझे दुःख होता है जब मेरा घर उदास होता है
जब कुछ कहने को नही होता है
जब यहाँ की हवा मायुस लगने लगती है
मुझे दुःख होता है जब मेरा घर उदास होता है-
पता है,
मैं हमेशा से चाहती थी
ऐसे ही तुमसे कभी मिलना
एक लम्हे में तुम्हारे साथ
पूरी सदियां जीना
जानते हो,
जब घर की लाइट चली जाती थी
तो मैं ऐसे ही बैठकर
बादलों को, तारों को देखती थी
और उन सबमें मै 'हमें ' ढूंढा करती थी
और आज तुम मुझे मिल गए हो ।-
मैं गंगा किनारे खड़ी हूं
जल प्रवाह में डूबने को तैयार
वहां की हवा तीव्र गती से आती हैं
मुझे छूकर गुजरती हैं
और कुछ देर तक यही खेल चलता है,
वो मुझसे कहती है की सांसों का बंधन तोड़ दो
तुम बह जाओ तुम बेहने के लिए बनी हो
खुद को रोके रखोगी तो अपने अंत: करण को
क्या जवाब दोगी इसलिए अपने चित को त्याग दो
मै उस गीली ज़मीन पर खड़ी
गहराई से कुछ सोचती हूं
मेरे अन्तर्मन में दो सवाल है
कि जब मै डूब रही होंगी
मेरी कुछ आखिरी सासें चल रही होंगी
तो पल भर में मेरा अस्तित्व केसे खतम हो जाएगा
इतने साल जो मैंने यहां बिताए
वो छड़ मात्र में केसे एक कहानी बन रह जाएंगे
ज़िन्दगी और मौत की ये दो दुनिया कितनी अलग है
ज़िन्दगी से मौत की तरफ जाया जा सकता है
मगर मौत के भवर से आने कोई रास्ता नही ।
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