एकांत चहुं ओर
शून्य शोर।
पथ धूमिल
मन शिथिल।।
बनी बावरी
अबला नारी।
हृदय पीड़ित
मुख हर्षित।।
रूप मनभावन
कर्तव्य परायण।
शेष कोलाहल
मन घायल।।
पाखी ✍
- पाखी✍
10 JUL 2017 AT 9:03
एकांत चहुं ओर
शून्य शोर।
पथ धूमिल
मन शिथिल।।
बनी बावरी
अबला नारी।
हृदय पीड़ित
मुख हर्षित।।
रूप मनभावन
कर्तव्य परायण।
शेष कोलाहल
मन घायल।।
पाखी ✍
- पाखी✍