pakhi Sarkar   (पाखी✍)
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A learner ☺
Joined 20 April 2017


A learner ☺
Joined 20 April 2017
3 OCT 2017 AT 20:07

अब ना तुम्हारा इंतज़ार है
ना ही तुमसे अब प्यार है
बस भूल नहीं सकते एक पल के लिए भी तुम्हें
बेबसी मेरी देखो कितनी लाचार है



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24 SEP 2017 AT 7:55

मैंने इश्क़ लिखा पन्नों पर
और छलक गए तुम हर नज़्मों पर।

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22 SEP 2017 AT 7:29

यूं हमारे इतने करीब से होकर ना गुजरिए
सिहर उठता है रोम रोम हमारा
आपकी मादक खुशबू से।
बेकाबू हो जाते हैं हम
पूरी तरह
ऐसी मदहोशी से।

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14 SEP 2017 AT 8:33

जन्म हिन्दू तन हिन्दू मन हिन्दू
हिंदी भाषी हो तो लज्जा कैसी।
मां की लोरियां हिंदी प्रेम अभिव्यक्त हिंदी
हिंदी भाषी हो तो लज्जा कैसी।
आनंद की अनुभूति हिन्दी अंतर्मन की पुकार हिंदी
हिंदी भाषी हो तो लज्जा कैसी।
शत शत नमन मातृभूमि को
कोटि कोटि नमन है मातृभाषा को
आधार हिंदी आत्मा हिन्दी
हिंदी भाषी हो तो लज्जा कैसी।

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12 SEP 2017 AT 22:40

जीवन पर्यंत जिनके लिए जूते वो अपने घिसते रहे
ऐसा घाव दिया उन्होंने बस आंखों से आंसू रिसते रहे।।

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9 SEP 2017 AT 19:26

एक तो तुम्हारी यादों का कहर
और ऊपर से बारिशों का पहर

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7 SEP 2017 AT 9:11

जाने कैसा सुरूर है तुममें करीब जैसे आते हो
ना मैं काबू में रह पाती हूं ना मेरे जज़्बात।

टूट के बिखर जाने को दिल करता है
तुझमें सिमट जाने को दिल करता है।

सांसों से सांसों को छूकर
बहक जाने को दिल करता है।

एक दूजे में खो कर
प्रेमरस पी लेने का दिल करता है।

बहकती सी इन फिजाओं में
तुम्हें और बहकाने को दिल करता है।

सारे दुख दर्द भूल कर
बस तुम्हें महसूस करने को दिल करता है।

सारी हदें तोड़ कर
खुलकर जीने को दिल करता है।

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5 SEP 2017 AT 20:39

यदि मैं शिक्षिका होती
तो मैं अपने छात्र छात्राओं को
एक अच्छा मानव बनने
का पाठ सबसे पहले
पढ़ाती।

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2 SEP 2017 AT 17:15

معاملات جسم کا ہو رہا تھا
تکلیف سے روح کرہ رہی تھی



Muamlaat jism ka ho raha tha
Takleef se rooh karah rahi thi..




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27 AUG 2017 AT 19:24

रूह तक पहुंचने वाले
दर्द भी रूह तक दे जाते हैं।


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