चाहत तो अभी भी है ‘रानी’ को हमसे
अफसोस....
मिजाज हमारा इक्के का है
Sorry RANI😎-
जो कभी दरबार लगाते थे,
वह आज बाजार में खड़े है।
बताओ, ये जीत है किताब–ए–जनतंत्र की?
या सजा है भगवा राजनीति छोड़ने की?
अभी जलाई गई है लोगों की भावनाएं,
अब उम्मीद लगाए रखें है नए रावण की...-
दुनिया का सारा ज्ञान तो बस
‘मैनेजमेंट’ वालों के पास है,
जो रात को खा–पी कर आराम से सोते हैं।
😀😃
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वक्त.........
कुछ घंटे छोड़कर सब के पास है
लेकीन यह सहम गया है, थक गया है
जिम्मेदारी, नौकरी, तनाव सब से ऊब गया है
कभी लेटे–लेटे बिस्तर पर छत की और
नजर गड़ाए,मुझसे बहस करता है
तो कभी फोन में देखते–देखते बहल जाता है
अब ठान ली है, मील लू मन से
और यकीं दिलाऊ की वो सिर्फ मेरा है
दिला दो मुझे जो मेरा है.....-
जे आवडतं ते मनाच्या आनंदात लवकर विरून जात आणि जे आवडत नाही ते मनात खोलवर कुठेतरी घर करुन बसत.
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सुवर्ण प्रकाश कसला या अवनी
मन हर्षित नयनांसह रोम रोम उत्साहित
गुंफून वेणी माळला गजरा
रूसून बसला रविकर घनात गगनी
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यहां उमा का सवाल अहम है, पानी का आकार किसने देखा है ? उनसे हमारी क्या बराबरी?सच में हम हम हैं इसलिए तो हमारी पहचान अलग है।
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आसमां रो रहा है और तकिया भीग रहा है।
अजीब इत्तेफाक है,
तेरी याद और बारिश साथ में आई है...
✨✨♥✨✨
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इश्क़ जैसा संगीन जुर्म
होश में कौन करता?
नशा तो भरपूर है इसमें,
वरना, जमाना तुम्हें बेहया
और हमें बेशरम क्यों कहता?
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