पारसमणि द्विवेदी   (📓पारस द्विवेदी📿)
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ब्राह्मण
Proud to be INDIAN & NAVODAYAN
Joined 2 August 2017


ब्राह्मण
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न माहौल बदला ,ना हाल बदला...
बदला सिर्फ कलैंडर, लोगों के लिए साल बदला ।!

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ना गंगा की जिक्र तुम्हारे धर्म में न यमुना की,
फिर ये तहजीब कौन सी है जिसका जिक्र हर बार करते हो ???

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परिस्थितियां हमेशा समान नहीं होती
हर कहानी हमेशा जवान नहीं होती
फर्क पड़ता है किसी के दूर होने से
किसी अपने को खोने से ,
हर हंसते चेहरे के पीछे मुस्कान नहीं होती
कुछ लोग ज़िंदा तो नजर आते है ,
लेकिन उनमें जान नहीं होती !
काश कद्र कर लिया होता मैंने उसका
तो आज वो ,
मेरे लिए अनजान नहीं होती
दफ़न हो जाते है कुछ किस्से सीने में,
हर कहानी की एक पहचान नहीं होती
हर हंसते चेहरे के पीछे मुस्कान नहीं होती...!!!
जो भी आपके पास है उसका कद्र कीजिए !
समय चक्र में हर कोई पिसता है,
इसमें किसी से भेदभाव नहीं होती ।।

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न मोहब्बत में कमी, न जज्बातों में..!
दूरियों ने रिश्ते को तबाह कर दिया....!!

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उनके रूठने का तो मत पूछिये जनाब....
वो तो इस बात पे भी रूठ जाती हैं ,की
हम उनसे इतना प्यार कैसे कर सकते हैं !!

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मजबूरियां हावी हो जाएं! ज़रुरी तो नहीं..
भरोसा खुद पर होना बहुत जरूरी है ।।

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वक्त के साथ हालत बदले न बदले ,
इंसान और भावनाएं जरूर बदल जाते हैं .....

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उदास चेहरों पर मुस्कुराहट ला सको तो दिवाली ,दिवाली ...
यूं तो अतिशबाजियां रोज होती हैं शहरों में.....

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हर वक्त पढ़ाई जाती है , हर वक्त इम्तिहान होते हैं....
किताबों के दौर से जिंदगी में आ गया हूं .... ।।

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थोड़ा बचकर चलिएगा !
इन रास्तों में खतरा बहोत है ।
जो आप करने जा रहे हैं,
इश्क! है जनाब....
इश्क़ धीमी मौत है ....

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