पारसमणि द्विवेदी   (📓पारस द्विवेदी📿)
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ब्राह्मण
Proud to be INDIAN & NAVODAYAN
Joined 2 August 2017


ब्राह्मण
Proud to be INDIAN & NAVODAYAN
Joined 2 August 2017

तुम्हारा साथ होना मुझे यह एहसास देता था..
कि मैं महफूज़ हूँ इस बड़ी दुनिया में..।
तुम्हारे साथ तय किए जा रहे वो रास्ते,
मेरे देखे हुए सबसे सुंदर दृश्य थे...।
मैं नहीं जानता था कि प्रेम क्या है?
बस ये पता था कि तुम्हारे बिना जीवन नहीं होगा...
तुम्हे देखते हुए मैं सोचता था ईश्वर को,
मैं सोचता था ईश्वर की पहली रचना..।
और सोचता था एक नयी दुनिया
तुम्हारा साथ होना मुझे यह एहसास देता था
कि यदि कोई साथ हो तो
सब कुछ पाया जा सकता है
प्रेम का नहीं पता पर... साथ निभाया जा सकता है
तुम्हारा साथ होना ऐसा था मेरे लिए ....।।

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यूं ही नहीं खालीपन मुझमें समाया होगा ,
मैंने अपने अंदर क्या - क्या दफनाया होगा।
अब मुझसे कहे भी नहीं जाते हालात मेरे,
शायद ख़ामोशी पर मैंने एक उम्र को बिताया होगा।
क्या मुझे ढूंढने नहीं आया कोई अपना मेरा?
या खुद को मैंने बहुत एहतियात से छिपाया होगा..!
हुनर शब्दों का बहता हुआ कलम से उतर तो जाता हैं
कहने में फिर वहीं बात क्यों कोई घबराता है
अब बयां कर दिया जाए क्या इस दर्द को
कितनी दफा जहन ने इस एक सिफारिश को दोहराया होगा..!!
मैंने अपने अंदर क्या - क्या दफनाया होगा।

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कितना भी समझा लूं अपने आप को मैं...
उस शख्स को मेरे जहन से निकाल नहीं पा रहा
जो सपने संजोए थे उसके साथ मैंने
उन्हें चाह कर भी भुला नहीं पा रहा..
खुद को भूल चुका हूं आजकल मैं...
उसके साथ बिताए लम्हों को भुला नहीं पा रहा..
जानता हूं दोबरा मिलना तो क्या देखना नसीब न होगा..
पर इस सच्चाई को अपना नहीं पा रहा...
कशमकस में उलझ कर रह गई है जिंदगी...
अफसोस अब मैं, मैं न रहा..

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इस बार डायरी में एक बात लिखूंगा ..
तुझको साफ खुद को बदनुमा दाग लिखूंगा ..।
हकीकत में तुझसे मुलाकात अब कभी होगी नहीं..
इस डायरी में अपनी खूबसूरत मुलाकात लिखूँगा..।।

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एक सपना, जो कभी सच नहीं होगा
एक सच , जिससे बड़ा कोई झूठ नहीं अब..
एक चाहत, जिसके अलावा कोई चाहत न थी
एक हकीकत, की वो अपना नहीं अब..।।

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सपने हैं यादें हैं,और भी बहुत कुछ,
तुम हो,तुम्हारी बातें हैं, और भी बहुत कुछ,
नही चाहते हम तुमको भूलना,
मगर दूरी है ,एक मजबूरी है, और भी बहुत कुछ,
मैं इतनी दूरी के बाद भी,इन हवा'ओं में महसूस करता हूँ,
तुम्हारी खुश्बू ,तुम्हारी आवाज़, तुम्हारा एहसास,
और भी बहुत कुछ..!
तेरा लौट कर आना नामुमकिन है अब,
मेरे लिए तेरे साथ बिताए वक्त की यादें हैं , हंसी है , जज्बात है , और भी बहुत कुछ..!
जिंदादिली से जिंदगी गुजारने के लिए है, और भी बहुत कुछ...!!

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जंगल काट कर शहर बसाते रहे, तो सबने मौन बांधे रखा...।
उन्होने कुछ दिनों को ,शहर को जंगल क्या बनाया हाहाकार मच गया..।!।

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हां तेरी मुस्कान काफी है दिल हारने के लिए ।
अभी तो नज़र बांकी है मुझे मारने के लिए ।।

तेरी लंबी काली जुल्फों ने दीवाना बनाया है।
ये काफी हैं मेरे ताउम्र छांव के लिए ।।

शायद बातें कम होती हैं हमारी।
अभी मुलाकातें बांकी है मुझे संवारने के लिए ।।

कुछ रातें बिताई हैं तुझसे बातें करके।
वो रातें काफी हैं ये उम्र गुजारनें के लिए ।।

और शायद ये जन्म मेरा काफी नहीं है।
तेरे सारे कर्ज उतारने के लिए ।।

एक और जन्म मैं लूंगा जरूर।
हमारी दास्तान अमर बनाने के लिए ।।

ये जज्बात शायद दबाकर रखता मैं ताउम्र ।
पर इज़हार कर देता हूं तेरे इंकार कर जाने के लिए।।

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तेरी ख़ैरियत का ही जिक्र रहता है दुआओ में।
प्रेम सिर्फ साथ होने से नहीं, तेरी फ़िक्र से भी है..।।

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"अच्छा वक्त आएगा"

"सब" कहते हैं एक वक्त आएगा..
कि सब अच्छा हो जाएगा ।
मगर वो ये नहीं जानते
उस वक्त के आने तक
मेरा बहुत वक्त गुजर जाएगा
तब तक मैं क्या मैं रह पाउंगा?
ओ अच्छा वक्त क्या मेरा गुजरा कल दे पाएगा?
ओ अच्छा वक्त क्या मेरे आंसुओ की कीमत चुका पाएगा ?
मेरे खामोश लबों पर क्या मुस्कान ला पाएगा?
सिमट चुके ज़ज्बातों को क्या फिर जगा पाएगा?
जो मैंने खोया क्या वो लौटा पाएगा?
ओ अच्छा वक्त क्या मेरी जवानी लौटा पाएगा?
ऐसा अच्छा वक्त मेरे क्या ही काम आएगा ....

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