P for poetry   (#p_for_poetry)
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Joined 7 May 2019


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8 APR 2022 AT 12:51

देखना एक दिन तुम मुझसे दूर हो जाओगे
हालात काबू में होंगे पर मजबूर हो जाओगे
फिर तुम्हारा कोई रास्ता न होगा मेरी तरफ
एक नया आशियाना तुम खुद ही खोज लाओगे
देखना एक दिन तुम मुझसे दूर हो जाओगे

मेरी ऑंखे तलाशेंगी तुमको या तुम्हारी मुझको
पर देखते ही देखते तुम ओझल हो जाओगे
फिर कभी मिलना न मिलना हुआ हमारा
मेरे साथ बीता वो कल किसी से दोहराओगे
देखना एक दिन तुम मुझसे दूर हो जाओगे

अक्सर कहानियों में दो किरदार झूठे होते हैं
फिर भी तुम वो सबको कहानियाँ सुनाओगे
ऐसा नहीं कोई जिक्र न करे मेरे बारे में
शायद उसे भी तुम मुझे आधा अधूरा बताओगे
देखना एक दिन तुम मुझसे दूर हो जाओगे

अक्सर मुझे सताने का बहाना ढूढ़ते हो
फिर इस तरह आखिर किसे सताओगे
एक रात आएगी तुम्हें भी मेरी याद
वो रात अँधेरे में कहीं जाग कर बिताओगे
देखना एक दिन तुम मुझसे दूर हो जाओगे

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1 FEB 2022 AT 18:31

कि उस खाली पिंजरे में लटकता वो झूला
कहीं तोते के लिए फाँसी का फंदा तो नहीं — % &

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1 FEB 2022 AT 18:21

ये मैं अपना क्या हाल कर रहा हूँ
दिन में खुद से कइयों सवाल कर रहा हूँ
क्या इतनी दोस्ती काफ़ी नहीं थी मेरी
जो उससे मोहब्बत न होने का मलाल कर रहा हूँ— % &

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24 JAN 2022 AT 16:00

वो गलत है तो फिर उससे अब सवाल कैसा
उसे बेहतर की तलाश है तो फिर उसका खयाल कैसा

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29 DEC 2021 AT 19:34

हर रोज़ एक शिकायत है खुद से
आख़िर क्यों मेरा चाँद नाराज़ है मुझसे

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14 NOV 2021 AT 19:27

हर बार खुद को साबित करना ज़रूरी है क्या?
बाकी बचा आत्मसम्मान खोना ज़रुरी है क्या?
तुम समझते नहीं तो समझा हम भी नहीं सकते
यूँ बेवज़ह बार-बार झुकना ज़रूरी है क्या?
और तुम कहते हो कि बदल गए हैं हम
तो अब बदले भी न हम ये ज़रूरी है क्या?
ज़रूरी है क्या हर बात में तुम्हारा ज़िक्र हो
हर वक्त तुम्हें मैं याद करूँ ज़रूरी है क्या?
वो तो बंजर ज़मीन में भी बरसते हैं बादल
पर हर मौसम बरसात ये ज़रूरी है क्या?
अब तो आँखों से अश्क़ तक नहीं निकलते
हर वक्त हाथ में रुमाल हो ज़रूरी है क्या?
हर बार खुद को साबित करना ज़रूरी है क्या??

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11 NOV 2021 AT 15:12

मुफलिसी ने सबको सताया बहुत
दर बदर भटकते रहे यहाँ कइयों मुसाफिर

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5 NOV 2021 AT 14:00

यादों से यूँ कब तक अकेले लड़ते रहेंगे
वो शख्स तो मिले मुझे मुकदमे के लिए

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1 NOV 2021 AT 14:15

बड़े सस्ते ख़ाब है तेरे मुझे ज्यादा वक्त नहीं ख़र्च करना पड़ा
मेरी मिलकियत है तेरी यादें याद करने से पहले सोचना पड़ा

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31 OCT 2021 AT 18:18

पहले तो बड़ी तारीफ़ों के पुल बाँधे गए
अब किसी ने हाल तक न पूछा

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