ए ज़िंदगी तु ये क्या कर रही है,
मैं लाश सी ज़िंदा हूं, मेरी आत्मा जल रही है,
अपने कर रहे है नफ़रत मुझसे, मुझे अपनो से नफ़रत ही रही है,
खाना , पिलाना, पालना, पोषणा .. सब गिनाया जा रहा है,
खाना , पिलाना, पालना, पोषणा .. सब गिनाया जा रहा है,
मेरी माँ भी मुझ पर एहसान कर रही है,
ए ज़िंदगी तु ये क्या कर रही है..।।
आज मुझे अपने लड़की होने पर अफ़सोस हो रहा है,
मेरे समझदार होने पर मेरी माँ रो रही है,
कहता है ज़माना, लड़किया नहीं है लड़को से कम,
कहता है ज़माना, लड़किया नहीं है लड़को से कम,
हमसफ़र चुन लो तो यही ज़माना कहता है प्यार में अंधी हो रही है,
ए ज़िंदगी तु ये क्या कर रही है..।।
कमरे मे उड़ना सीखा रहे है लड़कियों को,
कमरे मे उड़ना सीखा रहे है लड़कियों को,
ऐसी भी क्या कोइ आज़ादी होती है,
जब करने देते नही साकार उसे अपने सपनो को,
क्या ख़ाक ज़माने मैं बराबरी हो रही है,
ए ज़िंदगी तु ये क्या कर रही है..।।
कितना दोगला होता है समाज, जब बात लड़कियो की होती है,
क्यों पढ़ाते हो , क्यों समझदार बनाते हो... जब उसकी सुननी भी नही होती है,
क्यों पढ़ाते हो , क्यों समझदार बनाते हो... जब उसकी सुननी भी नही होती है,
लड़किया भले फांसी लगा ले, शादियां तो घर वालों के मर्ज़ी से ही होती है...
ए ज़िंदगी तु ये क्या कर रही है..।।
ए ज़िंदगी तु ये क्या कर रही है..।।-
ए खुदा.. मुझे भी भगवान बना दो..
सबकी मांगे पूरी कर सकू, ऐसा वरदान दिला दो..
दुख, पीड़ा, गम, दर्द, तकलीफे, इनकी दे दो मुझे...
दुख, पीड़ा, गम, दर्द, तकलीफे, इनकी दे दो मुझे...
मैं टूट कर चूर-चूर हो जाऊ,पर इनकी शिकायतें मिटा दो..
ए खुदा मुझे भी भगवान बना दो...।।
सबको उम्मीदें हैं मुझसे, उस पर खरा करा दो...
जिस जिस को जो जो चाहिए सब दिला दो...
बाप बनाया, भाई बनाया, पति बनाया, बेटा बनाया,
बाप बनाया, भाई बनाया, पति बनाया, बेटा बनाया,
अब भी सब खुश नहीं है मुझसे ,अब भगवान बना दो..
ए खुदा.. मुझे भी भगवान बना दो..
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मोहब्बत काँच सी नाजुक है, इटलाओ मत,
कब किस की नज़र लग जाए, किसी को बतलाओ मत..
ऐसे तो बड़े तरफ़दार बने फिरते हैं, मोहब्बत के,
ऐसे तो बड़े तरफ़दार बने फिरते हैं, मोहब्बत के,
खुद के लड़की पर आ जाए, घर में बंद कर दो, कहीं जाओ मत...
बहुत दिल-फ़रेब बैठे हैं चहीते बनकर, झांसे में आओ मत,
यह फन फैलाए साँप है, टोकरी में..
यह फन फैलाए साँप है, टोकरी में..
तुम ढक्कन हटाओ मत...
जमाने की नज़र है तुम पर, नज़र में आओ मत,
कौन कब चिट्ठी बनकर घर पहुंच जाए, इसलिए कहीं जाओ मत..
देते थे लोग अग्नि परीक्षा, वह जमाना और था ,
देते थे लोग अग्नि परीक्षा, वह जमाना और था ,
तुम मुझसे प्यार भी करते हो, यह भी किसी को बताओ मत...।।-
ए महादेव, कही कुछ कर न जाऊं मैं,
उस लड़की के भोलेपन पर, मर ना जाऊं मैं
हर रोज खोजती है, मिलने का बहाना..
हर रोज खोजती है, मिलने का बहाना..
मिलने पर कहती है, यहीं रुक जाओ आज घर ना जाऊं मैं..।
उससे मिलने घाट, मंदिर, पूरे बनारस भर में जाऊं मैं,
वह एक नजर देख ले, तो संवर जाऊं मैं,
चाट, पकौड़ी, छोले समोसे, कुछ खास पसंद नहीं उसे..
चाट, पकौड़ी, छोले समोसे, कुछ खास पसंद नहीं उसे..
पर मोमो ना खिलाओ, तो कहती है मर जाऊं मैं..।
घूमना बहुत पसंद है उसे, हर बार साथ जाऊं मैं,
कोई जगह ना बची अब, किधर किधर जाऊं मैं,
डरती है कोई देख ना ले, पहचान का उसे..
डरती है कोई देख ना ले, पहचान का उसे..
जाते वक्त हाथ पकड़ कर कहती है, अब घर जाऊं मैं..।
चाहूं भी अगर, तो भी दूर ना रह पाऊं मैं,
नाराज भी हो जाऊं, तो बात करने को तरस जाऊं मैं,
उससे ही होता है दिन, उससे ही होती है रात..
उससे ही होता है दिन, उससे ही होती है रात..
बिना उसके एक पल मन नहीं लगता, ए खुदा किधर जाऊं मैं..।
क्या क्या खास है, क्या क्या बताऊं मैं,
वह मुझे ऐसे समझती है, जैसे आईने में नजर आऊ मैं..
रोज जलाती है मुझे, रकीबों के नाम ले लेकर..
रोज जलाती है मुझे, रकीबों के नाम ले लेकर..
पर गुस्सा जाए, अगर उसका भी नाम जुबां पर लाऊं मैं...।।-
मेरी मौत को हम साझा करेगें,
इश्क करेंगे और हद से ज्यादा करेंगे,
मेरी जान रहो तुम बादलों में मशरूफ ...
मेरी जान रहो तुम बादलों में मशरूफ ...
हम ढाई गज जमीन में यादें ताजा करेंगे ...।।-
जिसके लिए हमने, दिल में तस्वीर बना रखी थी...
जिसके लिए हमने, दिल में तस्वीर बना रखी थी...
जालिम ने हमारी कसमें भी झूठी खा रखी थी...।।-
किस बात की है उमंग, न जाने किस बात की चैहेक है...
किस बात की है उमंग, न जाने किस बात की चैहेक है...
मैं पहनता हूं अपने कपड़े, पर इसमें भी उसकी मैहेक है..।।-
आप उनको जितना चाहेंगे,
खुद से उनको उतना दूर पाएंगे,
कदमों में भले रख दे आप जहां उनके...
कदमों में भले रख दे आप जहां उनके...
फिर भी दर-दर की ठोकरें खाएंगे...।।-