Opendra Kumar   (Open)
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Joined 28 February 2021


Joined 28 February 2021
11 MAY 2022 AT 10:06

मैं तो आँखें देख के ही बतला दूँगा
तुम में से किस किस ने दरिया देखा है

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17 APR 2022 AT 19:11

अँधेरा है कैसे तेरा ख़त पढ़ूँ
लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे

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16 APR 2022 AT 13:28

पूछ लेते बस वो मिजाज मेरा
कितना आसान था इलाज मेरा

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17 MAR 2022 AT 22:31

अच्छा होता सवाल न करता
मुझे यह तेरा जवाब ले बैठा

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14 FEB 2022 AT 14:04

कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा
मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा— % &

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16 DEC 2021 AT 21:38

मुझे अक्सर उदास करती है
वो तस्वीर मुस्कराती हुई...

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16 DEC 2021 AT 2:16

मेरे जुनूँ का नतीजा जरूर निकलेगा!
इसी स्याह समंदर से नूर निकलेगा...

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14 DEC 2021 AT 11:40

मैं करने चला था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
कि आज तुम याद बे-हिसाब आए

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17 NOV 2021 AT 11:23

मैंने सहना क्या सीख लिया
जिंदगी बेरहम होती चली गई

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14 NOV 2021 AT 14:11

मैं वक्त में उलझा रहा
वो गुजर गए किसी लम्हे से

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