ओमप्रकाश लटियाल   (ओमप्रकाश लटियाल)
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Joined 7 August 2021


Joined 7 August 2021

अलग हमारी मौज।
पड्यो नही हरी आसरे,
दुनिया धकियावे रोज।।

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नी सक्या,
बोले दुनिया री बात।
दूजां पर दृष्टि पड़े,
जाणी नही निज जात।।

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बहुत तपाया बदन को,
पैसा आया जब पास।
पढ़ने बाहरभेजा पुत्रीको,
अफसर बनने की आस।।

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अंधियारे से क्या डरें,
नित होती है शाम।
रात बनाने की वजह,
सभी करें आराम।।

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देखना,
खड़ा रह गया ख़्वाब।
बेबाकी से जब बोलती,
हम दे पाते नही जवाब।

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भीगी बारिश में इसकदर, हो गया उसे बुखार।
उठा कर उसे लाना पड़ा, करवाने को उपचार।।

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तेरी गैर मौजूदगी का आलम इस तरह।
भर नही सकता कोई दिल के खला को।।

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चाहे ले लीजे सब।
वो लम्हे अनमोल थे,
आएंगे वापस कब।।

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सोचो नए विचार।
क्या करना है भविष्य में,
जिससे पूर्ण हो प्यार।।

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चुप रहती रस चूसती,
करती अपना काम।
ध्यान नही इनपे धरे,
नही नाम नही बदनाम।।

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