कभी नाव पर गाड़ी चले
कभी गाड़ी पर चले नाव।
कभी मौसम बसंत का
कभी उजड़ी बहार।
कभी परवान चढ़े मुहब्बत
कभी हो जाए टकराव।
बेबाक़, कुछ एसा
जिंदगी का है सिलसिला
कभी पूरे हुए सपने
कभी अधूरे रहे ख्वाब।
ओम बेबाक़-
31 JUL 2018 AT 11:23
कभी नाव पर गाड़ी चले
कभी गाड़ी पर चले नाव।
कभी मौसम बसंत का
कभी उजड़ी बहार।
कभी परवान चढ़े मुहब्बत
कभी हो जाए टकराव।
बेबाक़, कुछ एसा
जिंदगी का है सिलसिला
कभी पूरे हुए सपने
कभी अधूरे रहे ख्वाब।
ओम बेबाक़-