अब उस गली में वो खुशबू कहाँ?
लगता है उनका मकां बदल गया।
अँधेरे में, मै ही क्यों हूँ ओमी?
लगता है दीपक तले दब गया।
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Agar aap kabhi jhukte nhi to mer... read more
इशक के चक्की में पिस के पिसान बना दिहलु,
जब प्यार के बेरा भईल त चालन लगा दिहलु।
आटा के रोटी बना के त खा गइलू ए करेजा,
ई चोकर के छोड़ के अनजान हो गइलू?
तोहरा चक्कर में टिंकू बदनाम हो गइलें,
तू चौराहा वाली मिश्री के दुकान हो गइलू।
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ये जगह भी प्यारी है,
अगर तुम्हारा साथ है।
सब जगह से न्यारी है,
अगर तू पास है।-
आ जाती है बारिश,
अचानक से,
बरश जाती है सुखी जमीं पर,
कर देती है हरा सूखे पत्तों को,
तुम भी कर देना मुझे।
तुम भी ऐसे आना,
जैसे आ जाती है बारिश।
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यूं गुमसुम सी, खोयी हुई सी,
बैठी है चुपचाप, छत पर,
चिड़ियों की चहचहाहट,
डूबते सूरज से भी अनभिज्ञ,
देख रही है क्षितिज को।
उस राज को दबाये,
अपने मासूम से दिल में,
जिस पर से पर्दा उसने,
अबतक हटाया ही नहीं।
जिसे वह उड़ाना तो चाहती है,
धूवें की तरह,
मगर डरती है,
कहीं कोई देख सुन न ले।
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हालात ऐसे हैं की सर दर्द की शिकायत करो,
तो सर फोड़ दिया जाता है।
बद की स्थिति से उठाकर बद्तर की ओर,
पटक दिया जाता है।
किसी के घर टूटने से सब चीख जाते हैं,
किसी का घर बह गया उसे बोलने भी नहीं दिया जाता है।
रिया,कंगना छायी रहती है दिन रात टीबी पर,
बेरोजगारी पर बात किया नहींं जाता है।
#न्यूज_चैनल_पर_का_बा
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याद उन्हें भी करलो,
जिन्होंने तुम्हारे दीपक को चिंगारी दीया।
मन के बीज को अंकुरित कर,
एक विशाल पेड़ बना दिया।
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बेचैनी,बस दौड़ना ही नहीं है,कुछ लोग बैठ जाते है चुपचाप और डूब जाते हैं पसीने मे जैसे बारिश में भीगे हों,लेटने पर भी वो सोते नहीं,खुली आंखों से पीते जाते हैं काली रात।अगर आंखें थककर बंद भी हो जाय तो मन, मन दौड़ता रहता है निरन्तर।जब मन थक जाता है तो आंखें खुल जाती हैं,मन और आंखों का तालमेल बिगड़ जाता है।इसे भी बेचैनी कहा गया है,जिसकी उत्पत्ति प्रेम से भी हो सकती है।
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एक काश के आश में इंसान खोता जाता है एक एक पल,कभी वो गुदगुदाता है तो कभी रुला भी जाता है लेकिन वो काश,काश ही रह जाता है बहुत कम ही बार हकीकत बन के लौटता है।
#Random_Thought
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