Omkar Yadav   (ॐकार यादव ।। कहासुनी)
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Joined 13 March 2018


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Joined 13 March 2018
22 MAY 2021 AT 5:48

अब उस गली में वो खुशबू कहाँ?
लगता है उनका मकां बदल गया।
अँधेरे में, मै ही क्यों हूँ ओमी?
लगता है दीपक तले दब गया।


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23 FEB 2021 AT 20:14

इशक के चक्की में पिस के पिसान बना दिहलु,
जब प्यार के बेरा भईल त चालन लगा दिहलु।
आटा के रोटी बना के त खा गइलू ए करेजा,
ई चोकर के छोड़ के अनजान हो गइलू?
तोहरा चक्कर में टिंकू बदनाम हो गइलें,
तू चौराहा वाली मिश्री के दुकान हो गइलू।

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15 JAN 2021 AT 0:14

ये जगह भी प्यारी है,
अगर तुम्हारा साथ है।
सब जगह से न्यारी है,
अगर तू पास है।

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15 OCT 2020 AT 19:50

आ जाती है बारिश,
अचानक से,
बरश जाती है सुखी जमीं पर,
कर देती है हरा सूखे पत्तों को,
तुम भी कर देना मुझे।
तुम भी ऐसे आना,
जैसे आ जाती है बारिश।


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6 OCT 2020 AT 21:44

यूं गुमसुम सी, खोयी हुई सी,
बैठी है चुपचाप, छत पर,
चिड़ियों की चहचहाहट,
डूबते सूरज से भी अनभिज्ञ,
देख रही है क्षितिज को।
उस राज को दबाये,
अपने मासूम से दिल में,
जिस पर से पर्दा उसने,
अबतक हटाया ही नहीं।
जिसे वह उड़ाना तो चाहती है,
धूवें की तरह,
मगर डरती है,
कहीं कोई देख सुन न ले।

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14 SEP 2020 AT 7:04

एक मच्छर एक छिपकली के पूछ पर बैठकर,
उसका खून चूसने लगा।
छिपकली ने अपनी पूछ काट ली।
#Privatisation




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12 SEP 2020 AT 6:46

हालात ऐसे हैं की सर दर्द की शिकायत करो,
तो सर फोड़ दिया जाता है।
बद की स्थिति से उठाकर बद्तर की ओर,
पटक दिया जाता है।
किसी के घर टूटने से सब चीख जाते हैं,
किसी का घर बह गया उसे बोलने भी नहीं दिया जाता है।
रिया,कंगना छायी रहती है दिन रात टीबी पर,
बेरोजगारी पर बात किया नहींं जाता है।
#न्यूज_चैनल_पर_का_बा


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5 SEP 2020 AT 5:30

याद उन्हें भी करलो,
जिन्होंने तुम्हारे दीपक को चिंगारी दीया।
मन के बीज को अंकुरित कर,
एक विशाल पेड़ बना दिया।


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5 SEP 2020 AT 5:14

बेचैनी,बस दौड़ना ही नहीं है,कुछ लोग बैठ जाते है चुपचाप और डूब जाते हैं पसीने मे जैसे बारिश में भीगे हों,लेटने पर भी वो सोते नहीं,खुली आंखों से पीते जाते हैं काली रात।अगर आंखें थककर बंद भी हो जाय तो मन, मन दौड़ता रहता है निरन्तर।जब मन थक जाता है तो आंखें खुल जाती हैं,मन और आंखों का तालमेल बिगड़ जाता है।इसे भी बेचैनी कहा गया है,जिसकी उत्पत्ति प्रेम से भी हो सकती है।


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22 AUG 2020 AT 17:19

एक काश के आश में इंसान खोता जाता है एक एक पल,कभी वो गुदगुदाता है तो कभी रुला भी जाता है लेकिन वो काश,काश ही रह जाता है बहुत कम ही बार हकीकत बन के लौटता है।
#Random_Thought

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