Omkar Prasad  
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Joined 1 November 2018


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9 JUL 2022 AT 7:40

All Politicians and News Anchors are either atheist or idiots but, non of them are religious.

I know it's weird but someday you'll get it.

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3 JUL 2022 AT 22:15

We all running to a mirage.
It's not just an illusion, It's life.

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3 JUL 2022 AT 21:45

A father refuses to take marigold , he knows her daughter taste . She love orchid.
"How someone be so insensitive,
It's Daughter's Day. He just want to make her daughter happy ,who now resident of St. Maria 3 Row , 16 no grave of that graveyard.

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22 JUN 2022 AT 21:54

मोहब्बत देखी नहीं कभी
या मोहब्बत देख न सके हम
पता नही पर्दा आँखों पे
या अक्ल पे पड़ा था।

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20 JUN 2022 AT 21:22

कुछ पत्ते हरे हैं , कुछ गिर के साढ़े हैं।
हज़ार आँधियों में, हम अब भी खड़े है।
किसी को बस छाया , किसी का मै छत हूँ।
हर कोई पढ़े वो खुला सा मै खत हुँ।
फलों से लदा मै तुम्हारे लिए ही,
कद में नही हम कर्म में भी बड़े हैं।
हज़ार आँधियों में, हम अब भी खड़े है।
अब आँधियों की ज़रूरत नहीं है।
है दौर ऐसा गलत ही सही है।
जो काटोगे हमको बचोगे न तुम भी,
कुदरत की लाठी सबको पड़े है।
हज़ार आँधियों में हम तुफा से लड़े है।
हम अब भी खड़े है।


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19 JUN 2022 AT 15:07

की खुशी कि कोई वजह तो नही है,
फिर लोट है क्यों तू किचड़ में जाके?
तू आदम की कौम की पर भैसो सी हरकत,
क्यों बारिश में चूल्हे की मिट्टी तू फाके?
वो आफत की पुड़िया , वो 4 साल की गुड़िया,
बस हस दे जब पूछो दो दाँत दिखा के।


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15 JUN 2022 AT 22:04

का से कहूँ ,
बिन सोये रहूँ।
नैनन देखे नींद की आस।

सोचूं कबहु ,
मन का चाहत है।
सपना भया सकून की आस।

बरसे मेघा
सीत करे बाहर
बिजूरी गिरे कलेजे पास।

कण्ठ सूखता
बड़ो देवों के
बली बुझावे उनकी प्यास


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12 JUN 2022 AT 21:02

चाँद से इश्क लड़ाने की
पूर्णिमा को प्यार होता है
और अमावस को दिल टूट जाता है।

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9 JUN 2022 AT 10:30

वहीं ढाक के चार पात

वहीं ढाक के चार पात,
नून, अचार, चोखा , भात।
गर्मी में सत्तू संग प्याज़
सर्दी में अलाव की आग।
जीवन सादा पर, रस से भरा है।
फिर भी मन घर में खुशी को छोड़
शहर में सुख को पाने चला है।

सुख और खुशी है एक ही बात,
वही ढाक के चार पात।

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2 JUN 2022 AT 8:40

Some body else uses the bathroom before me..

Nothing personal ,just don't want to welcome my morning by smelling the aroma of their shit.

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