Omkar Kulkarni  
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मैं लिखता हूं अपने आप को बदलने के लिए।
Joined 17 February 2019


मैं लिखता हूं अपने आप को बदलने के लिए।
Joined 17 February 2019
3 MAR 2019 AT 22:07

महादेव को समझना आसान नहीं, महादेव को समझने के लिए खुद महादेव बनाना होगा। और एक आदमी तभी महादेव बनता है, जब वह बुराई को नष्ट करने के लिए युद्ध करता है।

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4 MAR 2020 AT 14:12

जब तक रह सकते हो
नासमझ रहो
समझदारी बहोत कुछ
छीन लेती है

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28 FEB 2020 AT 0:24

आपली आवड जोपासायला फक्त वेळ आणि पैसा असुन भागत नाही, त्यासाठी असावी लागते ईच्छा !!

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28 FEB 2020 AT 0:19

बस मजबुर-ए-हालात थे
इधर भी और उधर भी !!

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1 JAN 2020 AT 13:20

तुझ्याच त्या ओल्या
आठवणींना रुंजी घालताना

माझ्यामध्ये लपलेल्या
तुला शोधताना

तुझ्या अलगद अवखळ
प्रवाह पाहताना

तुझ्या मधून वाहणारी
नदी शोधताना

पाहतो मी माझ्या मनाला
लाटांवर तरंगताना

दूर दूर तू आपल्याच
तालात नाचताना

होऊन जातो मी
किनारा वाट पाहताना

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17 DEC 2019 AT 14:03

महकता जो है
उसे कोइ बुझा ना पाए
जलता रहे जो सदा
वो खुद ही बूझ जाए

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27 NOV 2019 AT 0:49

हम सब अश्वत्थामा


एक ज़ख्म तेरे भी 
पास होगा 
एक ज़ख्म मेरा 
भी है
जो तुझे मुझे
सबको ज़िन्दगी के
आखरी सांस तक
साथ लेकर चलना 
होगा !!!

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12 NOV 2019 AT 1:59

भूलता जा रहा हूं
तेरे मेहक को
अब तो लग रहा है,
तेरी सूरत भी भूल जाऊंगा !!

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26 OCT 2019 AT 23:45

Always keep in mind you can't make people like you !

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21 JUN 2019 AT 18:41

काळजाचा ठोका
(तू नदी मी समुद्र)

दाटल्या डोळ्यांत
अश्रू माझाही
रुतला होता,
पाहून कला तुझ्या 
जीव माझाही
जडला होता. 
येताना तू दिसता
श्वास माझाही 
निसटला होता,
धबधब्यावरून कोसळताना
पाहून काळजाचा ठोका
माझाही चुकला होता !!

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