om sahu  
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Joined 11 May 2020


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Joined 11 May 2020
24 SEP 2022 AT 21:34

मेरी तस्वीर अपने साथ लेना
अभी हालात से सहमा हुआ हूं

कभी आओ इधर मुझको समेटो
मैं तिनकों सा कहीं बिखरा हुआ हूं

चलो अब पूछना तारों की बातें
अभी मैं आसमां सारा हुआ हूं

बात तेरी याद आई गया
वो वक़्त मैं उलझा हुआ हूं

बुरा कोई नहीं होता जन्म से
मुझे ही देख लो कैसा हुआ हूं

ज़माने ने मुझे जितना कुरेदा
मैं उतना और भी गहरा हुआ हूं

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16 OCT 2021 AT 19:01

I have heard that silence is the solution to every problem.

I think I should shut up foreve.

but remember I become silent our silence will sting !!

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15 OCT 2021 AT 0:26

जब खुद की एहमियत बतानी पड़ जाये,
समझ जाना आपकी कोई एहमियत ही नहीं है ।।

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3 OCT 2021 AT 23:07

बातें कहा होती है आज कल,

बस देखा जा रहा है परवाह किसको कितना हैं ।।

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2 OCT 2021 AT 22:54

बहुत सारी बातों के जवाबदार है हम,
हर छोटी बड़ी गलतियों के हकदार है हम ।

ना पूछो कितने वफादार है हम,
किसी की कहानी में फिजूल के किरदार है हम ।।

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20 SEP 2021 AT 18:51

तेरे साथ बिता हर लम्हा विशेष है...

हा.....मगर अब तो बस यादे ही शेष है...

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7 SEP 2021 AT 12:53

हकीकत रूठी पड़ी है कब से,
फिर भी ख्वाब रिझाने आते है ।
है सब स्व में ही मगन फिर भी,
वो हमारे है दिखाने आते है ।।

क्या कहु क्या लिखूं तुमसे,
की तुम्हे तो बस शब्द पढ़ने आते है ।
पढ़ो गर पढ़ सको भावो को,
की वही तुम्हे इंसान बनाते है ।।

वक़्त की पहचान सिख लो ऐ 🕉️,
की अपने भी इसी को देखकर मिलने आते है ।
जिंदगी में जरूरी है सही समझ रखना,
की अक्सर झूट सच का लिबास पहनकर आते है ।।

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3 SEP 2021 AT 19:11

था में नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था ,
बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था ।
न जाने को था वो अजब खेल मेरे घर मे ,
बच्चो की तरह मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था ।
जो देखते भी न थे मोहबत की निगाहों से ,
उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था ।
मालूम नही क्यों हैरान था हर कोई मुझे सोता देख कर ,
जोर जोर से रोकर मुझे जगाया जा रहा था ।
कप उठा मेरा रूह वो मंजर देख कर ,
जहा मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था ।

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11 JUL 2021 AT 18:38

तुमसे दूर जाना नशीब सा लगने लगा हैं,
तुमपर वक़्त मांगना भीख सा लगने लगा हैं ।
तुम इतने बदल जाओगे मालूम नहीं था,
तुम्हारा बिजी रहना दूरियों का ऐहसास दिलाने लगा हैं ।

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20 JUN 2021 AT 15:53

मैं हवा में उड़ते तिनके सा आप पर्वत सी उचाई हो,
में नाप न सकू जिसे वो सागर सी गहराई हो ।
में मौज काटता रहो पर आप मेहनत दिन रातो की,
कोई तोल न सके जिसे आप भार उन्ही जज्बातो की ।
में जिन कंधो पर बैठ जहां की रौनक देखा करता था,
मेरे चंद खिलौनों खातिर वो सपने बेचा करता था ।
मेरे ही खातिर अपने मन को कितना टाला है,
न जाने कितने समझौतों से आपने मुझको पाला है ।
जो खाली जेब के साथ भी मेरे सपने जिंदा रखता है,
में बेफिक्री से सोता हु जब रातो को वो जगता है ।
में शब्द भलेही बड़ा मगर आपहो उसकी पहचान पापा,
में बाहर क्यो ढूंढ जब आप ही हो मेरे भगवान पापा ।
Love you papa...

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