Om Pravesh Ravi   (Rehaan (Om))
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Joined 18 June 2019


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20 OCT 2019 AT 16:58

तुम्हारी आँखे,
कमबख्त बोलती बहुत हैं.......

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19 AUG 2021 AT 13:51

शिक़वा करूँ भी तो किससे ग़ालिब,
जब वक़्त ही अपने खिलाफ हो........

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19 JUN 2021 AT 12:09

यादें तेरी हमेशा ताजी रहेंगी,
जैसे गुलाब के पंखुड़ियों पर गिरी
ओस की बूंदें......

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6 APR 2021 AT 21:41

तुम्हारी मौजूदगी ही काफ़ी है मेरे लिए,
वरना वक़्त तो बेशुमार है, पर वो मज़ा कहाँ ???

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19 JAN 2021 AT 18:25

क्या तेरा दिल आज भी,
मेरा नाम लेकर धड़कता है....
कल की तरह,
कि अब तुम बदल गयी हो ?
और तेरा दिल भी बेईमान हो गया है,
किसी हरजाई की तरह.....

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17 JAN 2021 AT 6:57

परेशां मैं भी हूँ,
हाँ ये बात अलग है,
मैं कभी दिखाता नहीं, और तू
हर एक बात पर रो देती हो, आयत.....

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23 DEC 2020 AT 19:37

अपनों का एहसास दिलायेंगी.....
तिलिस्म सा है इसकी दुनियां,
कभी हँसायेगी, कभी रुलायेगी......

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23 DEC 2020 AT 19:26

जीने की राह और भी आसां हो जाता,
अगर आप मेरे हमसफ़र हो जाते......
यूँ तो तन्हा गुजारे है कितने मौसम मैंने,
पर आप अगर मेरे जीवन में आते तो,
हर मौसम बसंत हो जाते........

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23 DEC 2020 AT 17:38

इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं,
कि इंतज़ार मजा देती है......
पर इंतज़ार की घड़ी इतनी भी लंबी न हो,
कि वो एक सजा बन जाय........
लम्हा तो काट लूँ इंतज़ार में,
पर सारी उमर कहो कैसे गुजार दूँ रेहान ???

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25 SEP 2020 AT 7:38

ख्वाहिशें अधूरी रहें तो,
जीने का मज़ा देती हैं......
वरना फिर जीने में,
रखा ही क्या है........

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