तुम्हारी आँखे,
कमबख्त बोलती बहुत हैं.......-
shouk rakhta hun...
Jab adhik tanha hua,
zazbaaton ko panne par... read more
शिक़वा करूँ भी तो किससे ग़ालिब,
जब वक़्त ही अपने खिलाफ हो........-
यादें तेरी हमेशा ताजी रहेंगी,
जैसे गुलाब के पंखुड़ियों पर गिरी
ओस की बूंदें......-
तुम्हारी मौजूदगी ही काफ़ी है मेरे लिए,
वरना वक़्त तो बेशुमार है, पर वो मज़ा कहाँ ???-
क्या तेरा दिल आज भी,
मेरा नाम लेकर धड़कता है....
कल की तरह,
कि अब तुम बदल गयी हो ?
और तेरा दिल भी बेईमान हो गया है,
किसी हरजाई की तरह.....-
परेशां मैं भी हूँ,
हाँ ये बात अलग है,
मैं कभी दिखाता नहीं, और तू
हर एक बात पर रो देती हो, आयत.....-
अपनों का एहसास दिलायेंगी.....
तिलिस्म सा है इसकी दुनियां,
कभी हँसायेगी, कभी रुलायेगी......-
जीने की राह और भी आसां हो जाता,
अगर आप मेरे हमसफ़र हो जाते......
यूँ तो तन्हा गुजारे है कितने मौसम मैंने,
पर आप अगर मेरे जीवन में आते तो,
हर मौसम बसंत हो जाते........-
इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं,
कि इंतज़ार मजा देती है......
पर इंतज़ार की घड़ी इतनी भी लंबी न हो,
कि वो एक सजा बन जाय........
लम्हा तो काट लूँ इंतज़ार में,
पर सारी उमर कहो कैसे गुजार दूँ रेहान ???-
ख्वाहिशें अधूरी रहें तो,
जीने का मज़ा देती हैं......
वरना फिर जीने में,
रखा ही क्या है........
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