Om Prakash Verma   (ओमप्रकाश वर्मा)
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Joined 28 February 2020


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Joined 28 February 2020
20 MAR AT 10:34

मैं बनाता चला गया कारवां रिश्तों का “उत्कर्ष"
पर मुझे अपना किसी ने माना ही नहीं !!

ठहरते भी क्यों मतलबी लोग मेरे आस पास,
फकीर था मैं मेरे पास कोई खजाना ही नहीं..!!

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16 MAR AT 20:38

लफ़्ज़ वही है,मायने बदल गये है,
किरदार वही अफसाने बदल गये है

उलझी-उलझी ज़िंदगी सुलझाते
ज़िंदगी जीने के बहाने बदल गये है..!!

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9 MAR AT 11:15

ना उतार पाऊं उम्र भर इतना कर्जा है तुम्हारा,

मेरी इन आंखों में भगवान का दर्जा है तुम्हारा!!

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8 FEB AT 17:27

🌹꧁꧂🌹

मत परवाह कर उनकी
जो आज देते है ताना,
झुक जायेंगे ये सर जब
आएगा तेरा ज़माना,
लहरें बन जाए तूफ़ान,
कश्ती का काम है बहना
कुछ तो लोग कहेंगे,
लोगों का काम है कहना !!

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7 FEB AT 18:28

ऐसे प्राकृतिक नजारे तुम शहर मे कहा से लाओगे,

गांव की मिट्टी की खुशबू और साँझ कहा से लाओगे..❤️🌻

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7 FEB AT 18:24

सूर्य की तरह चमकाना है,

तो किताबों में डूबना होगा..!!❤️🌻

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5 FEB AT 22:28

हमारे.... इंतजार पर भी कुछ यूं पूर्ण विराम हो जाए

तुम आओ कुंभ सा तो प्रेम हमारा प्रयागराज हो जाए

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2 FEB AT 7:45

गम ए दौर जिंदगी में एक दिन बीत जायेगा "उत्कर्ष",

फिर सरसों के फूल की तरह जहां में महकेंगे.. हम।।

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14 JAN AT 8:11

काट ना सके कभी कोई पतंग,
टूटे ना कभी डोर विश्वास की,
छू लो आप जिन्दगी की सारी कामयाबी।
आप सबको मुबारक हो मकर संक्रांति ।।

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2 JAN AT 13:15

वो झूमता,वो लहराता सामने है प्रकृति का पीला सागर,

सच कहूँ "उत्कर्ष" सरसों है सौंदर्य का अतुलनीय आगर।।

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