मैं बनाता चला गया कारवां रिश्तों का “उत्कर्ष"
पर मुझे अपना किसी ने माना ही नहीं !!
ठहरते भी क्यों मतलबी लोग मेरे आस पास,
फकीर था मैं मेरे पास कोई खजाना ही नहीं..!!-
Member of Helping hands Bahadurpur Alwar
Writer of panchhiman,aadika... read more
लफ़्ज़ वही है,मायने बदल गये है,
किरदार वही अफसाने बदल गये है
उलझी-उलझी ज़िंदगी सुलझाते
ज़िंदगी जीने के बहाने बदल गये है..!!-
ना उतार पाऊं उम्र भर इतना कर्जा है तुम्हारा,
मेरी इन आंखों में भगवान का दर्जा है तुम्हारा!!-
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मत परवाह कर उनकी
जो आज देते है ताना,
झुक जायेंगे ये सर जब
आएगा तेरा ज़माना,
लहरें बन जाए तूफ़ान,
कश्ती का काम है बहना
कुछ तो लोग कहेंगे,
लोगों का काम है कहना !!-
ऐसे प्राकृतिक नजारे तुम शहर मे कहा से लाओगे,
गांव की मिट्टी की खुशबू और साँझ कहा से लाओगे..❤️🌻-
हमारे.... इंतजार पर भी कुछ यूं पूर्ण विराम हो जाए
तुम आओ कुंभ सा तो प्रेम हमारा प्रयागराज हो जाए-
गम ए दौर जिंदगी में एक दिन बीत जायेगा "उत्कर्ष",
फिर सरसों के फूल की तरह जहां में महकेंगे.. हम।।
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काट ना सके कभी कोई पतंग,
टूटे ना कभी डोर विश्वास की,
छू लो आप जिन्दगी की सारी कामयाबी।
आप सबको मुबारक हो मकर संक्रांति ।।-
वो झूमता,वो लहराता सामने है प्रकृति का पीला सागर,
सच कहूँ "उत्कर्ष" सरसों है सौंदर्य का अतुलनीय आगर।।-