Om Prakash Singh   (Om prakash "allahabadi")
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Joined 23 January 2019


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11 DEC 2024 AT 13:19

हमारी मोहब्बत न परवान चढ़ी न मक़बूल हुई।
पर्दे के पीछे शुरू और पर्दे के पीछे ख़तम हुई।

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5 OCT 2023 AT 0:14

रिश्ता ख़त्म करते वक़्त उसने हज़ार बार सॉरी बोला।

लेकिन रिश्ता बचाने के लिए उससे एक बार भी न बोला गया।

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5 FEB 2023 AT 19:06

तुम लगा दो अपनी मोहब्बत की बोली।

तुम्हे खरीदने को हम खुद को नीलाम कर देंगे।

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9 JAN 2023 AT 23:06

किसी को बिन मांगे ही मिल जाता है वो सब कुछ।

जिसे पाने को हम लाख मन्नतें करते हैं।

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9 JAN 2023 AT 23:02

अगर तुम मुझे कुछ नही समझते

तो मेरे लिए तुम सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं।

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6 JAN 2023 AT 18:49

मेरी आँखें हैं।

उसे एक बार देखा और देखता ही रह गया।

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1 JAN 2023 AT 10:41

सितमगर ने इस क़दर सितम ढाया।

दिसंबर के बाद सीधा जनवरी आया।

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31 DEC 2022 AT 20:23

जी करता है चूम लू तुम्हारे हाथों को।

कमबख्त तुम्हारी आंखे हर वक़्त पहरा देती रहती हैं।

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27 DEC 2022 AT 14:34

मैं पहले से इतना उदासीन हो चुका हूँ।

नई उदासी का कोई फर्क नही पड़ता।

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11 DEC 2022 AT 22:00

वो करते रहे किसी और से गुफ्तगू।

हमारे हिस्से में केवल बहाने आये।

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