हमारी मोहब्बत न परवान चढ़ी न मक़बूल हुई।
पर्दे के पीछे शुरू और पर्दे के पीछे ख़तम हुई।-
Om Prakash Singh
(Om prakash "allahabadi")
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ये दुख नहीं कि अंधेरों से सुलह की हमने
मलाल ये है के अब सुबह की तलब नहीं मुझे
"ना तुम मेरी ह... read more
मलाल ये है के अब सुबह की तलब नहीं मुझे
"ना तुम मेरी ह... read more
Joined 23 January 2019
11 DEC 2024 AT 13:19
5 OCT 2023 AT 0:14
रिश्ता ख़त्म करते वक़्त उसने हज़ार बार सॉरी बोला।
लेकिन रिश्ता बचाने के लिए उससे एक बार भी न बोला गया।-
5 FEB 2023 AT 19:06
तुम लगा दो अपनी मोहब्बत की बोली।
तुम्हे खरीदने को हम खुद को नीलाम कर देंगे।-
9 JAN 2023 AT 23:06
किसी को बिन मांगे ही मिल जाता है वो सब कुछ।
जिसे पाने को हम लाख मन्नतें करते हैं।-
9 JAN 2023 AT 23:02
अगर तुम मुझे कुछ नही समझते
तो मेरे लिए तुम सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं।-
31 DEC 2022 AT 20:23
जी करता है चूम लू तुम्हारे हाथों को।
कमबख्त तुम्हारी आंखे हर वक़्त पहरा देती रहती हैं।-
27 DEC 2022 AT 14:34
मैं पहले से इतना उदासीन हो चुका हूँ।
नई उदासी का कोई फर्क नही पड़ता।-
11 DEC 2022 AT 22:00
वो करते रहे किसी और से गुफ्तगू।
हमारे हिस्से में केवल बहाने आये।-