वो सर्द मौसम का सूरज,
वो पूर्णिमा की काली रात।
वो अकेलेपन का मेला,
वो दिल में दफ़्न अनकही बात।
महसूस करता हूँ, जब अकेला होता हूँ ।
वो आसुओं का करुण संगीत,
वो ख़ुद से ख़ुद की मुलाक़ात।
वो छुपे राज, वो खोये ख़्वाब
वो ठंड में होने वाली बरसात।
महसूस करता हूँ, जब अकेला होता हूँ।
ये स्याही का बेहिसाब चलना,
कोरे पन्नों का लगातार बोलना,
ये सन्नाटे का किंचित् शोर,
इच्छाओं का मन को झकझोरना।
महसूस करता हूँ, जब अकेला होता हूँ।
-