रात के माथे पर यादों की बिंदिया रखना
गुजरे दिनों की बात में भी ज़िक्र ना रखना
पुराने शहर से गुजरना अजनबी होकर
तुम से सीखा मैंने अपनों को ग़ैरों में रखना
अपने नाम के पीछे उसका नाम लिखना
मोहब्बत और वफ़ा, ये भी होता है कुछ
तुम्हें नहीं मालूम फिर भी कोई पूछे तो
सीखाना मोहब्बत पर विश्वास रखना
तुमने सिखाया वादे सिर्फ़ वादे होते हैं
हर वादे पर यूँ ही एतबार मत रखना
ख़याल, ख़त, ख़्वाब सब भुला दिए होंगे
पर याद तो होगा आख़री बार मिलना अपना
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