Om Awasthi  
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writer by heart, journalist by profession
Joined 7 December 2016


writer by heart, journalist by profession
Joined 7 December 2016
11 OCT 2022 AT 2:39

रात के माथे पर यादों की बिंदिया रखना
गुजरे दिनों की बात में भी ज़िक्र ना रखना
पुराने शहर से गुजरना अजनबी होकर
तुम से सीखा मैंने अपनों को ग़ैरों में रखना

अपने नाम के पीछे उसका नाम लिखना
मोहब्बत और वफ़ा, ये भी होता है कुछ
तुम्हें नहीं मालूम फिर भी कोई पूछे तो
सीखाना मोहब्बत पर विश्वास रखना

तुमने सिखाया वादे सिर्फ़ वादे होते हैं
हर वादे पर यूँ ही एतबार मत रखना
ख़याल, ख़त, ख़्वाब सब भुला दिए होंगे
पर याद तो होगा आख़री बार मिलना अपना

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9 OCT 2022 AT 23:32


उम्र भर इंतज़ार का वादा था
वो शाम तक ठहरा नहीं
उसके ख़त जलाने में हाथ काँप गये
दिल तोड़ने से पहले जिसने सोचा नहीं
हमने उम्र लगा दी उफ़्फ़ न किया
ख़ुदा बताए क्या ग़लत है क्या सही…

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2 APR 2020 AT 23:10

छोड़ दो गालियाँ, चौबारा
दीवारों से दिललगी कर लो
ये क्या बेचैनी लिए फिरते हो
तुम किसी क़ैद में थोड़े हो
निकलो न अपने छज्जे पर
बनके किसी का चाँद फिर से
और बजाओ वही गीत पुराना
कि आज मिलने की ज़िद न करो

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31 MAR 2020 AT 2:28

वो दर्द को छूमंतर कर देती है
माँ की दुआ भी दवा होती है...

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28 MAR 2020 AT 3:58

ख़्वाबों के इंतज़ार में
तुम जागे सारी रात
और वो नींद में भी
तुम्हारा हो ना सका...

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27 MAR 2020 AT 1:09

दिल पर डर की आहटें आ गयीं
देखो दहलीज़ तक बात आ गयी
परिंदे जो उड़ गए थे बहुत दूर
उन्हें भी घर की याद आ गयी...

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19 MAR 2020 AT 23:18

तुम्हारी बेवफ़ाई का ख्याल आया
और अकेला पड़ गया फिर दिल

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19 MAR 2020 AT 13:19

आँखें कितना कुछ झेलती हैं
दिल चुपचाप सब सह जाता है।

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19 MAR 2020 AT 1:31

लेखक अपने लिखे में पढ़ता है वो
जो छुपा लेता है सबसे
देखता है लफ़्ज़ों के बीच
ख़ाली जगहों के पार
डरता है कोई वो ना पढ़ ले
जो उसके मन में दर्ज है...

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19 MAR 2020 AT 1:30

लेखक पाठकों के लिए मरता है...

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