With Sushant Singh Rajput not only an actor and a good soul had died but the aspirations of a small town boy had also died. The boy who dream of having a place in the glitz town. The boy who became superstar in his eyes before he became one. The boy who had many dreams. He often said he felt odd one out because he was from small town. He felt alone because he was humble and sensitive. He didn't share these characteristics with the so called stars. The small boy with big heart is no more.
With that boy what has died is aspirations of small town which looks up to so called big cities. The small town which wants to become like one of those big cities. The small town which can only see the big cities pacing hurriedly every day, the city which is never silent, the city of dreams, the city of showbiz and wonders whether it can ever match its pace.
Today that small town no longer wants to be one of those big cities. It finds relief in its slow pace life where people are more humane, where people dream, love, share and care. Today the small town wants it's small boy back. Will the big city return that boy?
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I lost my innocence while battling with this cruel world and the monsters living in it.
In this process I became one of them.-
जिससे कभी दोस्ती तो कभी लड़ाई है,
जिसके बिना दिल नहीं लगता, मानो जैसे भीड़ में भी तन्हाई है,
वो कोई और नहीं मेरा छोटा भाई है।
जो मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा है,
जिसके बिना अधूरा मेरी बचपन का हर किस्सा है,
जिससे कभी रूठना कभी मनाना मानो हमेशा का सिलसिला है,
वो तो मेरी जिंदगी में आया जैसे नन्हा फरिश्ता है।
मीलो दूर से भी जिसे याद कर आँखें भर आई है,
ना जाने आज-कल उसे मुझसे किस बात की रुसवाई है,
पर हर बार की तरह इस बार भी मना लुंगी उसे मैं,
कुछ बातें कह सुन के समझा लुंगी उसे मैं,
भले वक़्त ने करवट ली हो और हमारे बीच फासले बढ़ गए हो,
भले ही जिंदगी की भाग-दौड़ में कुछ किस्से रह गए हो,
पर वो तो आज भी मेरा सबसे अजीज़ दोस्त, मेरा हमराज़, मेरा प्यरा भाई है।
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यूँ तो मुझे अपनी नींद से बहुत प्यार है,
पर अच्छा लगता था जब तुम कॉल कर के वक़्त-बेवक़्त जगा दिया करते थे।
यूँ तो मुझे ज्यादा बातें करना पसंद नहीं,
पर अच्छा लगता था जब तुम अपनी बातों में मुझे उलझा लिया करते थे।
यूँ तो मुझे अपने उलझे-बिखरे बालों से कोई प्रॉब्लम नहीं होती,
पर अच्छा लगता था जब तुम मेरी जुल्फें अपनी उँगलियों से सुलझा दिया करते थे।
वैसे तो मैं एक सीरियस लड़की हूँ और मुझे ज्यादा हंसी मजाक पसंद नहीं,
पर अच्छा लगता था जब तुम मेरी छोटी-छोटी बातों पे मुस्कुरा दिया करते थे।
पर आज जब मुझे तम्हारी सबसे ज्यादा जरुरत है तब कहाँ हो तुम?
क्या अब नहीं आओगे जैसे हर बार मेरी हर जरुरत पूरी करने आ जाया करते थे?-
पहली बार किसी शक्श से हुआ मुझे प्यार था,
नज़रों से नज़रे टकराई और आँखों से हुआ इकरार था,
आंसमा को छोड़ो,
हमारे लिए तो वो ही जैसे धरती पर चाँद का दीदार था।
अब उनके बिना कहाँ रहा जाता, हर पल बस उनसे मिलने का इंतज़ार था,
ये कोई छोटी मोटी बात नहीं, हमारे ऊपर चढ़ा इश्क़ का खुमार था।
हम दिन रात उनसे मिलने के सपने संजोने लगे, आखिर उनसे हुआ प्यार जो बेशुमार था,
चल पड़े उनसे मिलने, उनके एक इशारे पे, क्योंकि उनपे बहुत ऐतबार था।
पर ये क्या उनके अंदर तो छुपा जैसे कोई हैवान था,
सारे सपने जो देखे थे प्यार, मोहब्बत, रोमांस के सब टूट गए।
ये क्या हुआ, क्या सभी मर्द ऐसे ही होते है, या सिर्फ ये ही ऐसा इंसांन था,
उस वक़्त भरोसा उठा प्यार से, जब उन्होंने दिल की जगह हमारा जिस्म देखना चाहा,
ऐसा लगा मानो सारा जमाना ही बेईमान था।
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