गीत
तुम्हारी आदत सी हो गई है, रहेंगे कैसे तुम्हारे बिन हम
ये दूरियाॅं हम सहेंगे कैसे बताओ तुम ही ओ मेरे हमदम
ये बात सच है कि ज़िंदगी के सफ़र में ऐसे हैं मोड़ आते
मगर ये फ़ुर्क़त के चार पल भी हमारे दिल पर सितम हैं ढाते
नहीं है दिल को क़रार आता, सदा है रहती ये ऑंख पुर-नम
जो तुम नहीं तो ये ज़िंदगी क्या, हैं सारी ख़ुशियाॅ तुम्हारे दम से
करोगी तुम देर लौटने में, तो टूट जाएंगे हम क़सम से
करेंगे अब इंतज़ार कितना, चलेगा कब तक ये मौसम-ए-ग़म
©charudatta_kelkar
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