odysseus   (Charudatta)
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Charudatta Kelkar
Essentially a lyricist
Joined 21 November 2018


Charudatta Kelkar
Essentially a lyricist
Joined 21 November 2018
28 MAR AT 21:27

गीत
नज़र मिली जब राहों में हम से
न जाने वो क्यों शरमा गए
बिखेर कर वो ख़ुशबू फ़िज़ा में
चमन हमारा महका गए
बज उठे ऐसे तार इस दिल के
खिल गए सहरा में भी जैसे गुलशन
नज़र मिली...

कभी न ये सोचा था कि वो क़रीब आएंगे
हुज़ूर अपने दिल में कभी हमें बिठाएंगे
आज हाथों में हाथ है उन का
क्या सुनाएं लफ्ज़ो में दिल का आलम
नज़र मिली...
©charudatta_kelkar

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24 MAR AT 12:24

रंगों का त्योहार निकट है कान्हा यूॅं ना छिप जाना
तुम ना हो तो गोकुल में कैसे होगा हॅंसना-गाना

कितने रंग तुम्हारे हैं ये किसने जाना ओ गिरिधर
होली ये बेरंग रहेगी तुम न रहोगे साथ अगर
क्या बालक क्या बाला सबने तुमको है अपना माना

आकर अपने रंग बिखेरो, स्वर्ग बना दो ये मधुबन
भर दो रंगों से हर आंगन, महका दो सब का जीवन
बाट तकेंगे कब तक हम , अब और हमें ना तरसाना
©charudatta_kelkar

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2 MAR AT 20:55

गीत

तुम्हारी आदत सी हो गई है, रहेंगे कैसे तुम्हारे बिन हम
ये दूरियाॅं हम सहेंगे कैसे बताओ तुम ही ओ मेरे हमदम

ये बात सच है कि ज़िंदगी के सफ़र में ऐसे हैं मोड़ आते
मगर ये फ़ुर्क़त के चार पल भी हमारे दिल पर सितम हैं ढाते
नहीं है दिल को क़रार आता, सदा है रहती ये ऑंख पुर-नम

जो तुम नहीं तो ये ज़िंदगी क्या, हैं सारी ख़ुशियाॅ तुम्हारे दम से
करोगी तुम देर लौटने में, तो टूट जाएंगे हम क़सम से
करेंगे अब इंतज़ार कितना, चलेगा कब तक ये मौसम-ए-ग़म
©charudatta_kelkar

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1 MAR AT 14:07

जीवन रस पी लेना है, क्यों व्यर्थ गंवाएं हम जीवन
मिल-जुल कर रह लेंगे सब तो ये बन जाएगा मधुबन
सब को अपना समझें हम तो बदलेगी दुनिया इक दिन
सुख के फूल खिलेंगे हरसू, महक उठेगा हर आंगन
©charudatta_kelkar

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1 MAR AT 13:07

लड़का
माना हमारे बीच में अब आ गई दीवार है
हाॅं, हो गई मुझसे ख़ता मुझको कहाॅं इन्कार है
वापस चली आओ भुलाकर अब सभी शिकवे-गिले
तेरे बिना ऐ दिलरुबा जीना मेरा बेकार है






लड़की
थी भूल मुझसे भी हुई, इसका मुझे अहसास है
हैं अश्क़ ऑंखों में भरे, दिल में मिलन की आस है
इक बार बस आवाज़ दो मुझको ऐ मेरे हमनवा
तन्हाइयों के क़फ़स में घुटती मेरी हर सांस है
©charudatta_kelkar

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4 JAN AT 17:08

आज गुज़रे जो उनकी गली से,
दिन बहारों के फिर याद आए
उठ गया दर्द का इक तलातुम,
ऑंसुओं को न हम रोक पाए

कैसे भूलें वो लम्हा क़हर का,
बर्क़ सी जब गिरी थी जिगर पर
थामकर हाथ इक ग़ैर का वो
एक पल में हुए थे पराए
©charudatta_kelkar
(Full piece in caption)

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23 NOV 2022 AT 10:30

बारहा वो याद आते हैं हमें
ख़्वाब में आकर सताते हैं हमें

आज भी लगता है जैसे दूर से
वो इशारों‌ से बुलाते हैं हमें

इक उन्हीं का अक्स है इस रूह में
इक वही हैं जो लुभाते हैं हमें

सामना होगा तो पूछेंगे कि वो
इस तरह क्यों आज़माते हैं हमें

क्यों नहीं होते वो हमसे रूबरू
दूर रहकर क्यों जलाते हैं हमें

हैं कई दिलकश नज़ारे हरतरफ
वो मगर बहला न पाते हैं हमें
©charudatta_kelkar

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21 NOV 2022 AT 13:22

नज़रों से ओझल ही सही, पर साथ हैं वो आज भी
परछाई की मानिंद दिल के पास हैं वो आज भी

उनकी डगर से है जुदा अब रास्ता मेरा मगर
दिल ये समझता है मेरे हमराह हैं वो आज भी

उनकी निगाहों में कहीं अब अक्स मेरा हो न हो
पर जो भी हो मेरे लिए तो खास हैं वो आज भी

वो मखमली घड़ियां मिलन की और मस्ती का समा
भूला न वो लम्हे कभी मैं, याद हैं वो आज भी

गुलशन खिले थे प्यार के, दिल की ज़मींपर जो कभी
उजड़े नहीं आंधी में भी, आबाद हैं वो आज भी

पाना उन्हें मुमकिन नहीं इसका मुझे अहसास है
पर क्या करूं मेरी शायरी की जान हैं वो आज भी
©charudatta_kelkar

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4 NOV 2022 AT 9:27

अंधियारी थी मेरी ये दुनिया, तू आई बनकर पूनम
है मेरे जीवन की सरगम ये तेरी पायल की छमछम

वीरान पड़ी थी दिल की नगरी तेरे आने से पहले
अब छाया रहता है हरसू दिनरात बहारों का मौसम

दिलपर चलती हैं छुरियां जब तेरी मुस्कान बिखरती है
हैरान मुझे कर जाते हैं तेरी ज़ुल्फ़ों के पेंच-ओ-ख़म

ना पैमाना है हाथों में ना जाम लगा है होठों से
पर उन आंखों में देखा तो छाया बेहोशी का आलम

जीवनपथ पर संग चलना है, अब छोड़ न जाना साथ कभी
तुझसे ही है आबाद मेरी ये दुनिया, ऐ मेरे हभदम
©charudatta_kelkar

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3 NOV 2022 AT 19:31

बयां करें किससे हाल दिल का, नहीं कोई राज़दार अपना
हुआ है वीरान बाग़ दिल का, उजड गया है दयार अपना

न कोई हमराह अब हमारा न कोई मंज़िल न कोई महफिल
बस एक साया है संग अब तो, वही है इक ग़मगुसार अपना

नहीं किया जुर्म कोई फिर भी न जाने क्यों ये सज़ा है पाई
नसीब के हैं ये खेल इनपर रहा है कब इख़्तियार अपना

ख़ुशी की हसरत में जाने अबतक उठाए हैं कितने रंज हमने
ख़ुशी न पाई है पर हुआ है ग़मों का इक आबशार अपना

है ख़्वाब टूटा कोई सुहाना, है सामने अब जो सच वही है
नशे की रातें गुज़र चुकी हैं उतर गया है ख़ुमार अपना

नहीं है अब कोई बेक़रारी किसी के दिल में हमारी ख़ातिर
नहीं कोई फ़िक्रमंद अपना, किसे है अब इंतज़ार अपना
©charudatta_kelkar

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