Nutan Jha   (Nutan_ki_diary)
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Writting is my hobby...
First cry 12 may...
Joined 2 June 2020


Writting is my hobby...
First cry 12 may...
Joined 2 June 2020
15 MAR 2021 AT 11:42

वक़्त...

हर बुरा वक़्त खूबसरत हो जाएगा,
बुरे वक़्त के साथ खुद को संवार के तो देखो।

क्यों ढूंढ रहे हो कमिया ख़ुद के अंदर,आसमा भी
झुकेगा एक बार खुद को आज़मा के तो देखो।

एक वक़्त था जब हंसी आई थी होंठो पे,
फिर आएगी वह हंसी एक बार खुदको हंसा के तो देखो

ये बोझिल सी जिंदगी भी बहुत खूबसूरत लगेगी
एक बार इसे गले लगा कर तो देखो।

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21 JUN 2020 AT 17:40

हमेशा छाँव मै रखा
ना आने दिया कभी धूप
मैने अपने पिता मै देखा
एक फ़रिश्ते का रूप

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14 JUN 2020 AT 17:19

जमीं से तारे टूट कर फलक मै जा रहे हैं
लगता है ख़ुदा नए अफसाने बना रहे हैं

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10 JUN 2020 AT 8:20

आहिस्ता आहिस्ता...

ज़िन्दगी चल रही आहिस्ता आहिस्ता
कट रहा सफ़र आहिस्ता आहिस्ता

बिखरी हूँ ऐसे मोतियों के माला बिखरे जैसे
अब समेट रही हूँ खुद को आहिस्ता आहिस्ता

मंजील कठिन ,मुश्किलों से भरा हर दिन,गमों के कांटे
चुभ ना जाए कहीं,कदम बढ़ा रही हूँ आहिस्ता आहिस्ता

झुकेगा असमां,जब सफलता चूमेगी मेरा हाँथ
खुशियों से सजेगा अम्बर आहिस्ता आहिस्ता।

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8 JUN 2020 AT 18:38

दिलचस्प है ज़िन्दगी का सफ़र...

कभी आँखों से बहते
मोतियों के झरने,

कभी मुस्कुराते जज्बातों
का चमकता कोहिनूर,

गमों के चादर ओढ़े अंधेरा,कभी
खुशियों की चुन्नी ओढ़े चमचमाती हुर।

खुशियों के बादल मै,गमों का है बसर
दिलचस्प है ज़िन्दगी का सफ़र।

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7 JUN 2020 AT 18:49

मंजिल...

मंजिल पाने की कसक,
अभी बाकी है।

आसमां तक जाना है,
अभी उड़ान बाकी है।

ये दिल मुसाफिर कल भी था,
ये दिल मुसाफिर आज भी है।

कल परायों की तलाश थी।
आज अपनी तलाश है।

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6 JUN 2020 AT 14:26

बचपन...

हल्की हल्की बारिश सुबह की
सौंधी सौंधी खुसबू मिट्टी की

याद दिलाता है वो दिन,
जब छुट्टी होती थी स्कूल की।

नानी माँ की कहानियाँ
मेरी थोड़ी नादानियाँ

दादी माँ की झपकी
उनके हाँथो की थपकी

वो मस्ती थी बचपन की,
जब बेहती थी कश्ती कागज़ की।

ना जाने कहाँ खो गया वो गुल्लक,
जिसमें कुछ लम्हें कैद थे बचपन की।

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5 JUN 2020 AT 17:38

इंतज़ार...
परवाने जलते बुझते रहते हैं
आशियाने उजरते बनते रहते हैं

कैलेण्डर के पन्ने रूठ गए मुझसे
रोज एक हि सवाल करते रहते हैं

घड़ी के कांटे मिनटों पे रुक गए हैं
और कितना वक़्त चाहिए तुमको

अब तो आईने भी धुंधलें पड़ गए हैं
तुम आओ तो सवार लुं खुद को

खुली लटें बहुत शोर करते हैं
सुनो मेरी धड़कने पे मेरा ज़ोर नहीं

बेवफा ये सांसे ठहर ना जाएँ कहीं
ओर कितना वक़्त चाहिए तुमको

तुम्हारे सिवा इस वबा
का कोई तोड़ नहीं

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4 JUN 2020 AT 17:49

विश्वासघात...

बीज भी हमने बोई।
सिंची भी हमने

जब कुदरत का
असर दिखेगा

फिर ना कहना
फल खराब निकला

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4 JUN 2020 AT 8:54

ज़िन्दगी...

आहिस्ता चल ए ज़िन्दगी
बहुत खुबसूरत ये राहें हैं

ग़म मिला तो क्या हुआ
इन राहों से हसीन लम्हें मैने पाएँ हैं

ग़म ओर ख़ुशी दोनों से नवाजा है तूने मुझे
पर कुछ यादें हैं जिसे हम पीछे छोड़ आएँ हैं

बेजान सी हो गई हूँ,दर्द की कश्ती है
ओर आंसुओ की धाराएँ हैं

वक़्त रेत की तरह फिसल रहा है, ठहर जा ए ज़िन्दगी
कुछ अधुरें सपने हैं जो पूरे नहीं हो पाएँ हैं

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