राम राम में रम रहें,
लोग कहें हनुमान
भक्त क्या और भक्ति क्या
दोनों का एक ही नाम
बहे पवन में या रूके धरा पर
तेरे चरण में चारों धाम
राम राम की राम धुनी से
तर गये तुम हनुमान
दो आशिष भक्त वत्सल को,
मिले भक्ति का ज्ञान
भूल जाऊं मैं सुध बुध अपनी
रहें राम चरण में ध्यान
हूंँ अनभिज्ञ हर कर्म विधि से
मैं हनुमन्त महान
करो दया इस मूढ़ मति पर
दो भक्ति का दान🙏
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संगीत और नृत्य शौक भी है और कमजोरी भी,
ढेर सारी किताबें प... read more
मैं हूँ बिल्कुल अपने जैसी,
मुझे और नहीं कुछ बनना हैं,
जीना है अपने रंगों में
और के रंग नहीं रंगना हैं,
छुएगी मेरी आशाएं,
अपने मन के सपनों को,
किसी और के कांधे चढ़ कर
नहीं आसमां छूना है,
छोटी-छोटी ख़्वाहिश मेरी,
छोटे-छोटे ख़्वाब हैं,
अपने इन सुन्दर ख़्वाबों को हैं
सच में बदलना रे,
अपने बल पर,अपने दम पर,
आज कुछ कर गुजरना हैं,
तोड़ डाली सब बेड़ी मन की,
अब स्वछन्द गगन में उड़ना है
नूपुर 🌹-
पुछते हैं वो, दास्तां ए इश्क,
धड़कनों से,कोई सरोकार नहीं...
सुलझाते हैं लट, उलझे बालों की....
ठहरे हुए आंसूओं का, कोई अहसास नहीं
कह भी दूँ तो क्या ख़ाक वो समझेगें!!
जो पास हो कर भी पास नहीं...
मुहब्बत हैं ये,कोई फ़लसफ़ा नहीं...
जो बयां कर पाऊँ ये वो जज़्बात नहीं....-
बीत गया फिर साल महिना,
नव वर्ष की दस्तक हैं...
हम हैं बिल्कुल पिछले बरस से,
बदला सिर्फ कलैंडर है...
हर साल वही वो झूठी कसमें,
ना जाने कितने साल दोहराई...
भूल गये हम उम्र की गिनती,
लेकिन समझ अब तक ना आई...
खुद ही से किए झूठे वादें,
और खुद ही खुद को समझाया...
दिल तो बेचारा बच्चा है जी,
कब ये समझ को समझ पाया....
ना बदलने की ज़िद्द में,
उम्र सारी लगा डाली...
जीवन बगिया भला वो क्या खिलेगी
जिसका हो हम जैसा माली....
लेकिन सुनो अब ये ठाना है,
अब रोज बस मुस्काना है....
खिलना है हमको भी रह रह कर,
मुस्कुराहटों से लद जाना हैं....
यही दुआ यही चाहत है,
हर दिल खुल के मुस्कायें....
संकरा चाहे घर आंगन,
हृदय का सागर बढ़ता जायें...
नूपुर 🌹
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सैंटा की पोटली का तो पता नहीं,
हाँ, मैंने कुछ रब माँगा है....
हर लब पर हँसी माँगी हैं,
हर चेहरे पर नूर माँगा हैं...
हर की रोटी की ख्वाहिश,
हर प्यास को पानी माँगा हैं...
हर दर्द को राहत माँगी हैं ,
हर निर्बल का बल माँगा हैं...
सूनी आँखों को सुन्दर सपने,
उन्हें पूरा करने का जज़्बा माँगा हैं ...
हर माँ की गोद भरी चाही,
हर बालक को वात्सल्य माँगा हैं ....
हर कदम को हिम्मत और हौंसला,
हर सफ़र को मंज़िल माँगी हैं...
हृदय करूणा से भरा हुआ,
हर दिल में मुहब्बत माँगी हैं ...
अतरंगी से इस जीवन में,
सबको अपनी राह मिले...
शान्त रहे सर्व हृदय का कलरव,
सहर्ष जीवन रस पान करें 🌹
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चलो, चाँद को छूकर आएं,
फिर से दिल बच्चा, बन जायें,
भूल-भाल के, उमर की गिनती,
आज चलो, लंगड़ी खेल आएं,
ढूँढ निकाले, गिल्ली-डंडा,
फिर से पोशम-पा कर आएं,
बचपन वाले बिट्टू-लल्ली को,
वैसे ही... आवाज लगायें,
दादी-नानी वाली कहानियाँ,
आज अपने, बच्चों को सुनायें,
इन्हें सिखाएं पेड़ पे चढ़ना,
खुद भी इनके पीछे हो जाएं,
पींग बढ़ाएं फिर झूलों पर,
लट्टू की फिरकी टकरायें,
बिन पहिए की गाड़ी ले कर,
फुर्र फुर्र कर के उसे चलाएं,
गुड़िया का चलो ब्याह रचायें,
झूठ मूठ के आँसू छलकायें,
नाचें गाएं धूम मचाएं,
फिर से हम बच्चे बन जायें,
गुम सा गया जो वक्त की रेत में,
उस बचपन को ढूँढ के लायें।-
कहती हैं ज़िन्दगी मुझसे, कुछ सीख जरा।
नहीं रूकी मैं आज तक, एक भी लम्हा।।
क्या अच्छा ,क्या बुरा हमें सब अपनाना है।
जीना है हर पल को, नहीं सोग मनाना है।।
बीत गई है वो घड़ी ,ये भी बीत ही जायेगी।
कब तलक मुश्किलें, अपना सर उठायेगी ।।
तेरी हिम्मत के आगे इसको, हार ही जाना है।
ज़ीवन की इस जंग को तुझे जीत के जाना है।।
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हुआ सफल ,असफल ये तो पता नहीं!
तेरे बताने समझाने में,रही कोई कसर नहीं,
बीज समझ और और चाह का तूने ही डाला है..
इस कच्ची माटी को, एक शक्ल में ढाला है..
आज हुआ हूँ रोशन मैं, तेरे जलाने से....
वजूद .......मेरे को तूने.......ही पहचाना है...
ना शब्द..... कोई,ना बात ही काफी हैं.....
तेरे बिना मेरी....... हस्ती नाकाफी है....
बस ....भरा हुआ हूँ तेरे ...गुण गानों से...
भर दी है तूने झोली फिर भी अभी बाकी है,
बैठा हूँ तेरे किनारे...डूबना अभी बाकी है...
करूँ प्रणाम् कोटी कोटी तुझे,अ मेरे रहबर
तूने ही तो है, जिसने ज्ञान का दीप जलाया है...
इस अनगढ़ पत्थर को तू ही शक्ल में लाया है।
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हो जाती है कीमती कितनी ,
तेरी कलाई पर सजने से।
है दुआयों के मोती इसमें,
जो प्यार, जतन से बाँधे है।
राखी और कुछ नहीं भैय्या,
ये प्रेम विश्वास के धागे हैं।
❤️-
बात.....
कह डालूँ तो भी क्या!!बात फिर भी रह जायेगी...
कर दूँ ख़ाक ज़िगर.. तो राख़ रह जायेगी...
बातें हैं लगती हैं ज़िन्दा.... इन्सानों की तरह....
जो दबा लूँ दिल में, लाश बन जायेगी.....
लौट रही है लहरों सी, यादों की रसद....
जो छू लुँगा इनको, छार बन जायेगी....
तो, देखता हूँ और मुस्कुराता हूँ,काँपते होंठों से,
जो आह! निकली तो..ख़बर हो जायेगी....
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