चलो, चाँद को छूकर आएं,
फिर से दिल बच्चा, बन जायें,
भूल-भाल के, उमर की गिनती,
आज चलो, लंगड़ी खेल आएं,
ढूँढ निकाले, गिल्ली-डंडा,
फिर से पोशम-पा कर आएं,
बचपन वाले बिट्टू-लल्ली को,
वैसे ही... आवाज लगायें,
दादी-नानी वाली कहानियाँ,
आज अपने, बच्चों को सुनायें,
इन्हें सिखाएं पेड़ पे चढ़ना,
खुद भी इनके पीछे हो जाएं,
पींग बढ़ाएं फिर झूलों पर,
लट्टू की फिरकी टकरायें,
बिन पहिए की गाड़ी ले कर,
फुर्र फुर्र कर के उसे चलाएं,
गुड़िया का चलो ब्याह रचायें,
झूठ मूठ के आँसू छलकायें,
नाचें गाएं धूम मचाएं,
फिर से हम बच्चे बन जायें,
गुम सा गया जो वक्त की रेत में,
उस बचपन को ढूँढ के लायें।
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