तस्वीर मुकम्मल नही, तस्वीर एक ज़रिया है तस्वीरों से मिले तो समझ आया उनका भी एक नज़रिया है। तस्वीरों में झाँका तो लगा पूरी दुनिया बस्ती है इनमें, तस्वीरों से उम्मीद बहुत है आशिक़ों के दिल में।।
तस्वीरें मौन है, तस्वीरें बेखौफ़ है तस्वीरों को पता नहीं उन्हें चाहता कौन है।।
तस्वीरें इत्र भी है, तस्वीरें चंदन भी चाहने वाले की नज़र में, तस्वीरें खुशबूदार भी है तस्वीरें पूजनीय भी।।
मेरे मेहबूब को दीवार पसंद है, अपने बीच होने वाली टकरार पसंद है। कहा नहीं उसने कभी पर मैंने देखा है, उसे नज़रंदाज़ करने का अंदाज़ पसंद है। उसे प्यार करूँ तो चीड़ जाता है उस्से बात करूँ तो रूठ जाता है। लगता है उसे अब कोई और पसंद है।।