कलम की आवाज
कलम उठी है आज फिर
कुछ गुनगुनाने को..
कुछ कहने को, कुछ बताने को
मन के भीतर बहती..
अनुभूति को सजाने को ।।
अलफाजों से लिपटी श्याही को
मनो-कल्पना से रचा है यों..
हर अक्षर गुनगुनाता है
कुछ कहता है, कुछ बताता है
अहसासों से भरे जीवन को..
कलम-औं-मुख से सजाता है।।
शान्त-अशान्त, अनंत गुनगान..
हर्ष आकर्षक - अधम(दुख) अनआकर्षक,
सब जीवन विभूति हैं..
हर शन में जीया है जौ..!!
वही...
कलम-औं-मुख की अनुभूति है.. (2)
कलम उठी है आज फिर
कुछ गुनगुनाने को...
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Everything looks beautiful till it's far away from you. Look - Death, God, birds, animal's in the zoo only and long distance relationship .☺️
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नींद इं आंखों से,
कुछ इस तरह जुदा है..
जैसे आदत हो किसी की
और वो मुझसे जुदा हो ।।-
Let's start your life with something new, something that fascinates you to do more for your ownself. Kick back to enhance the quality of your lifestyle which makes u the person that u usually dreams.
Let's start for being the best version of u.
Better than what u were yesterday.
Start loving urself and make a priority list by placing urself at 1st.-
विडम्बना:
जिंदगी निकाल दी
जिनके शौक पालते पालते,
आज वही औलाद बोलती है
हमारा बाप मुफ्त की रोटी खाता है ।।-
बहुत कुछ खोने के बाद,
एक चीज मैंने भी पाई है..
हर चीज अस्थाई है यहां पर,
इंसान हो या कोई वस्तु..
जिंदगी भर का साथ निभाने,
कोई नहीं आई है .. ।।-
बड़ी ही दिलचस्प हैं,
जिंदगी की राहें..
कदम हम सीधे बढ़ाते हैं
मोड़ ये खुद देती है ।।-
लाखों ख्याल आते हैं - जाते हैं,
बस एक तेरा ही ख्याल ऐसा है..
जो आता तो है.. पर जाता नहीं है ।।
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क्या खूब कहा है किसी ने,
किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व जानना है..
तो उसकी "नीति और नियति" परखें,
उसके द्वारा बनाए गए किसी भी वस्तु से ।।-