तूझे कैसे ले जाऊं, तेरे पिता की मर्ज़ी के बगैर,
कल को मैं भी एक बेटी का बाप बनूंगा..!!-
Null
(@turnvolume)
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Love to write
Joined 28 November 2019
2 OCT 2020 AT 15:37
16 SEP 2020 AT 17:40
ये कुछ लोगों की सोच
और कानों को दीमक लग गई!
स्त्री की 'ना' को 'हां' समझ बैठे,
और 'हां' को ना जाने क्या-क्या समझ बैठे..!!-
14 SEP 2020 AT 22:15
पढ़ कर समझ लो, मैं वो किताब नहीं हूं ,
मेरा हर पन्ना नये ज़ख्मों की कहानी कहता हैं..!!-
13 SEP 2020 AT 15:04
प्यार है तुझसे आज भी ,
पर सरेआम नहीं करूंगा
किसी के घर की इज्ज़त है तू ,
चंद तालियों के लिए तुझे बदनाम नहीं करूंगा-
12 SEP 2020 AT 19:15
वो मंदिर भी जाती हैं, मस्ज़िद भी जाती हैं,
बेटा बीमार हो तो मां मजहब भी भूल जाती हैं..!!-
11 SEP 2020 AT 16:33
एक शाम ऐसी हो नदी के किनारे
मैं और चांद हो एक दूजे के सहारे,
अंधेरा करेगा फिर जख्मों को हरा
चांदनी में छुप जाए मेरे दाग सारे..!!-
10 SEP 2020 AT 18:04
आग लगी हैं रस्ते पर, ये जल रहें हैं पांव
बू -ए-खून से सने हुए, पर चल रहें हैं पांव-
8 SEP 2020 AT 20:46
सोच में हैं वो गरीब,
कल की बारिश में उजड़े घर को बनाऊ,
या परिवार के लिए आज रोटी कमाऊ..!!-