कल रात आसमा को अपना ग़म बताया
सुबह देखा.. तो बारिश हो रही थी।-
नज़रों को फेरते कुछ यूँ दूर हुए तुम हमसे,
मानो वो पहला क़दम कभी बढ़ाया ही न हो..-
पतझड़ और बरसात के मौसम की यही कहानी है
एक में बेसाख़ टूटते हुए पत्ते,
तो दूजे मैं फिसलती जवानी है।-
She bit her lip and looked at me
along her eyes..
Lowering her leashes
until they almost cuddled her cheeks
and slowly raised them again..
Like a theatre curtain.-
माना की मुुश्किल है सफ़र
पर सुन ओ मुसाफिर..
कहीं आगर तू रुका तो
मंजिल आएगी ना फिर..
🧡🧡-
समंदर बन देते रहे सबको दिल में जगह अपनी,
क्या करें! वो नमकीन पानी हमें गवारा ना था।-
लोग तो आते ही हैं
अपने रंग बदलने के लिए।
और ज़रा सुकून ढूंढने की कोशिश तो कीजे,
ये बेचैनी तो बाज़ार में सरेआम बिकती है।-
अक्सर वो दिन याद आते हैं
तो आंखों को भींगा जाते हैं
वो साथ बिताए लम्हे
बस तुम्हारी याद दिलाते हैं
जो भूलना चाहूं उन्हें
तो फिर मुझे रुला जाते हैं।
💔-