चाहतें जब तकरार हो जाएं,
गुनाह जब बार–बार हो जाए।
दोस्त जब होशियार हो जाए,
प्यार जब ज्यादा तरफदार हो जाए,
सच जब धारदार हो जाए,
तन्हाइयां भीड़ पर सवार हो जाए।
मुकम्मल झूठ तैयार हो जाए,
अपमान मीठा प्यार हो जाए।
रिश्ते जब व्यापार हो जाए,
अपनापन जरूरत का हथियार हो जाए।
शब्द जब काटने को बेकरार हो जाए,
तब समझना, जिंदगी कठिन पेपर ले रही है।
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“विश्वासपात्र मित्र से बड़ी भारी रक्षा रहती है। जिसे ऎसा मित्र मिल जाये उसे समझना चाहिए कि खजाना मिल गया।" विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक औषधि है। हमें अपने मित्रों से यह आशा रखनी चाहिए कि वे उत्तम संकल्पों मे हमें दृढ़ करेंगे, दोष और त्रुटियों से हमें बचायेंगे, हमारे सत्य , पवित्रता और मर्यादा के प्रेम को पुष्ट करे, जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे, तब वे हमें सचेत करेंगे, जब हम हतोत्साहित होंगे तब हमें उत्साहित करेंगे। सारांश यह है कि वे हमें उत्तमतापूर्वक जीवन निर्वाह करने में हर तरह से सहायता देंगे। सच्ची मित्रता से उत्तम से उत्तम वैद्य की-सी निपुणता और परख होती है, अच्छी से अच्छी माता का सा धैर्य और कोमलता होती है। ऎसी ही मित्रता करने का प्रयत्न पुरुष को करना चाहिए।”
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
#frindship day-
चुपके - चुपके रोने से दूर गम नही होता,
अपना गम किसी से भी बोलना जरूरी है।
सब तो इस जमाने में बेवफा नहीं शेखर,
अच्छे लोग है लेकिन ढूंढना जरूरी है ।-
मेरी जिंदगी ने मौत से कह बार बार सताया मुझे,
मगर एक तेरी याद ने तन्हा होने न दिया।-
किरदार मेरा कोई बना नहीं कभी,
लहरों पर आकर जल रहा हूं मैं।
खड़ा रहा हूं तूफानों में डटकर,
भंवर में आकर सम्हल रहा हूं मैं।-
ये अदाएं है तो ठीक सही,थोड़ा सरमाया कीजिए,
और पास आ तो जाऊं, मगर नजरें तो मिलाया कीजिए।-