न तेरे बस में है कुछ, न तूं कुछ करने योगफ़िर गरुर कैसा बंदे कभी गिरेवां में झांक के तो देख... -
न तेरे बस में है कुछ, न तूं कुछ करने योगफ़िर गरुर कैसा बंदे कभी गिरेवां में झांक के तो देख...
-
मन को रंग लिया श्याम के रंग मेंफिर तन मन मैला कैसे होए....उसके प्रेम में बन गई जोगिनअब डर फिर काहे का होए... -
मन को रंग लिया श्याम के रंग मेंफिर तन मन मैला कैसे होए....उसके प्रेम में बन गई जोगिनअब डर फिर काहे का होए...
खुदा की खुदाई को खुदा के सिवा भला कौन जानें।।हो जा फ़कीर उसके दर का जो उसकी रजा को मानें ।।क्या गरीबी क्या अमीरी नहीं कोई उसे फर्क पड़ता।।बंदगी में रहे मशगूल जो हर पल उसको करीब जानें।। -
खुदा की खुदाई को खुदा के सिवा भला कौन जानें।।हो जा फ़कीर उसके दर का जो उसकी रजा को मानें ।।क्या गरीबी क्या अमीरी नहीं कोई उसे फर्क पड़ता।।बंदगी में रहे मशगूल जो हर पल उसको करीब जानें।।
मतदान करने का अवसर तो जनाब बहुत बार मिलेगा।।मगर कोई इस तरह चाहने वाला तुम्हें न फ़िर ऐसा मिलेगा।। -
मतदान करने का अवसर तो जनाब बहुत बार मिलेगा।।मगर कोई इस तरह चाहने वाला तुम्हें न फ़िर ऐसा मिलेगा।।
भूल जाते कब के हम उन्हे मगर कमबख्त यादों ने हमें बांध रखा।।मिटाया लाख बार उनका नाम लिख करज़ालिम दिल ने फ़िर भी उसे याद रखा।। -
भूल जाते कब के हम उन्हे मगर कमबख्त यादों ने हमें बांध रखा।।मिटाया लाख बार उनका नाम लिख करज़ालिम दिल ने फ़िर भी उसे याद रखा।।
कत्ल करने वाले हाल ए दिल जनाब कब से पूछने लगे।।देखें जिसको वो नज़र भर के वो जलवों पे उनके मरने लगे।। -
कत्ल करने वाले हाल ए दिल जनाब कब से पूछने लगे।।देखें जिसको वो नज़र भर के वो जलवों पे उनके मरने लगे।।
चांद भी कहां ठहर पायेगा।।मेहबूब जो मेरा सामने आयेगा।।शर्मा जायेगी चांदनी भी देखनागुरुर उसका भी उतर जायेगा।। -
चांद भी कहां ठहर पायेगा।।मेहबूब जो मेरा सामने आयेगा।।शर्मा जायेगी चांदनी भी देखनागुरुर उसका भी उतर जायेगा।।
कौन कमबख्त होना चाहता है रिहा तेरी मोहब्बत की गिरफ्त से...सब कुछ तुझ पे है निर्भर मेरी जां संभल न पाएंगे अब अलग होकर तुमसे ... -
कौन कमबख्त होना चाहता है रिहा तेरी मोहब्बत की गिरफ्त से...सब कुछ तुझ पे है निर्भर मेरी जां संभल न पाएंगे अब अलग होकर तुमसे ...
हार से ही जीत के ए दोस्तद्वार खुलते हैं।हार में ही हमें अपनी कमजोरियों के भेद मिलते हैं।। -
हार से ही जीत के ए दोस्तद्वार खुलते हैं।हार में ही हमें अपनी कमजोरियों के भेद मिलते हैं।।
इरादे हो बड़े तोजीत पक्की होगी...क्या हुआ खेल में एक अदना से सैनिक हैं युद्ध कला में हैं परवीण तो सत्ता तुम्हारी होगी... -
इरादे हो बड़े तोजीत पक्की होगी...क्या हुआ खेल में एक अदना से सैनिक हैं युद्ध कला में हैं परवीण तो सत्ता तुम्हारी होगी...