नरेन्द्र नाथ त्रिपाठी  
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Joined 31 May 2018


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Joined 31 May 2018


स्वदेश भारत को गौरवान्वित करने व माता-पिता एवं शिक्षको को धन्यानुभूतिक करने हेतु अंतरिक्ष यात्रा नेतृत्व कर्ता प्रेरक व्यक्तित्व यशस्वी शुभांशु शुक्ला को गंतव्य पर पंहुने की आकाश भर बधाई और लक्ष्य प्राप्ति की अशेष शुभकामनाएं! लखनऊ की गलियों से अंतरिक्ष तक का सफर सिद्ध करने वाले शुभ की सेवा का श्रीगणेश भारतीय वायु सेना से हुआ,डी आर डी ओ में गगनयान का हिस्सा बनना और फिर साझा अंतरिक्ष यात्रा का नेतृत्व करना उनके,शौर्य निहित पराक्रम और प्रणम्य सेवा समर्पण के ऐतिहासिक हस्ताक्षर का परिचायक है।निज नाम को चरितार्थ करते,जन-गण-मन की बुलंद आवाज को,प्रधानमंत्री से संदेशप्रद संवाद की पुनः पुनः आकाश भर बधाई और भावी कल्याणकारी कार्यक्रमों के सफलतम् क्रियान्वयन की अशेष शुभकामनाएं!
"चलत बिमान कोलाहल होई, जय रघुबीर कहइ सबु कोई।"
नरेन्द्र त्रिपाठी




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पंडित जुगल किशोर जी द्वारा प्रकाशित और संपादित हिन्दी पत्रकारिता की चुनौती पूर्ण नींव और ऐसी मशाल जिसका दिव्य और अमर प्रकाश आज भी आच्छादित होकर आलोकित कर रहा है,ऐसे अभिनन्दनीय भागीरथी प्रयास का नाम है 'उदंत मार्तंड'।हिन्दी के प्रथम समाचार पत्र का श्रीगणेश ३० मई १८२६ को हुआ था,अस्तु इस गौरवान्वित दिवस को देश दुनिया 'हिन्दी पत्रकारिता दिवस' के रूप में सम्मानित करके धन्यानुभूतिक है।

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सोचता कुछ है करता कुछ है

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'भारतीय सेना' की पहचान उसका शौर्य और पराक्रम सहित संयम और संविधान सम्मत अनुशासन भी है।लेकिन दुर्भाग्यवश कमोबेश लगभग सभी भारतीय राजनैतिक दलों ने सूर्य सम 'सैन्य शक्ति' को अपमानित करने का दुस्साहस करते हुए विकट मूर्खता का परिचय दिया है।लेकिन यह मूर्खता अक्षम्य है चूंकि आत्मघाती है,अस्तु समेकित भाव से नीति नियंताओं को निरंकुश नेताओं के प्रति सख्त कानून बनाने की परम आवश्यकता है।'न्यायार्थ पुत्र को दंड' चरितार्थ करना चाहिए सरकारों को भी अन्यथा "कुशल उपदेश बहुतेरे" जन-गण-मन को आहत करता रहेगा संभावित नुकसान सहित।सारगर्भित सदाशय यह है कि शीर्ष नेतृत्व को प्रभावी फलित संज्ञान लेना राष्ट्र धर्म है जबकि नजरंदाज करना धर्म से विरत की पुष्टि है,और कथनी और करनी में भरपूर भेद सुनिश्चित करता है।

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युद्धक स्थिति में अल्प विराम या दो कदम पीछे होने के मतलब से सभी बखूबी वाकिफ हैं,लेकिन संघर्ष(प्रतिकार) मात्र में समझौते की स्थिति वह भी अपनी शर्तों पर अधिकाधिक संदेशप्रद है।भारत -पाक की सम सामयिक और विगत घटनाक्रम की स्थिति युद्ध की नहीं प्रतिकार की ही है,युद्धक रणनीति की प्रतिक्रिया अतिरिक्त विषय है,और इसमें पाकिस्तान परास्त हुआ देश दुनिया के सामने शर्मसार भी हुआ।भारत की सामरिक शक्ति के दिग्दर्शन से भयभीत भी हुआ।समर्थ,सशक्त,संप्रभु,अखंड भारत के प्रताप ने भावी पाकिस्तान के खंड खंड होने की प्रबल संभावना को भी बलपुष्ट कर दिया है।इससे पहले संभवत: पाकिस्तान इतना कमजोर कभी नहीं हुआ,युद्ध की नीति के हिसाब से तो यही सही समय है लेकिन यह तो युद्ध ही नहीं है तो नीति का क्या ?अंततः वैश्विक स्तर पर भारत का कद और बढ़ गया है तमाम संदेश सहित।जबकि 'ऑपरेशन सिन्दूर ' अभी अनवरत है लक्षित उद्देश्य की प्राप्ति तक।वैश्विक शक्तियां का गणित भी प्रासंगिक है नीति निर्धारण हेतु,मनोरथ हमें हमारे पूर्ण करने हैं न कि अन्य के, कुल मिलाकर तुम डाल -डाल तो हम पात -पात चरितार्थ करना है और नीति नियंताओं पर उनके अब तक के कृतित्व (निर्यणों) पर गौरवान्वित होना चाहिए स्वदेश हितार्थ भारत के तेवर और भावी निर्णयों सहित।



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पाकिस्तान का किरदार(सीरत) खुदा पाक भी नहीं जान पाया तो देश दुनिया के लिए निश्चित ही शोध का विषय है,लेकिन कीमत बार बार हर बार भारत ही क्यों चुकाए ? हालिया हमारे जोखिम की उपलब्धि ? पाकिस्तान की जगह जाहिर फितरत का क्या ? युद्ध के लिए नहीं कम से कम बुद्ध भाव के लिए 'ऑपरेशन सिन्दूर' पूर्ण होना बहुत-बहुत जरूरी है।

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विश्वस्त सूत्रों के हवाले से ✋️

विश्व बैंक ने कहा जनाब हम यकीकन आपकी खिदमत करना चाहते हैं पहले से भी बेहतर,लेकिन मसला यह है कि कर्जा धरती पर दें और लेने के लिए जन्नत की ज़हमत कैसे उठाएं ? अल्ला जाने ! एक मुल्क के रूप में बने रहना मुश्किल नजर आ रहा है।हम आपकी लंबी उम्र की दुआ करते हैं!

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आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए मॉक ड्रिल ( mock drill ) स्वदेश भारत में निर्देशित किया भारत सरकार ने और हकीकत में सायरन बजाया आतंक के आका पाकिस्तान में 😃 ऑपरेशन 'सिन्दूर' के नाम से।ऑपरेशन 'सिन्दूर' का निहितार्थ स्वमेव संदेशप्रद है वैश्विक स्तर पर।यह मटियामेट संकल्पित विध्वंस भारत की सैन्य क्षमता,श्रेष्ठतम तकनीकि,गोपनियता और लक्ष्य निर्धारित रणरंग धीरता सहित शौर्य का भी परिचायक है।

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"एकं सत्य विप्रा बहुधा वदन्ति" प्रभु से प्रार्थना हो या अर्चन वंदन और प्रेम हो या फिर अल्ला ताला की इबादत हो! देखना यह है कि "सर्वे भवन्तु सुखिनः" व 'वसुधैव कुटुंबकम' प्रणेता और पोषक 'भारत' का सामना इंसानियत का हत्यारा,फरेबी,आतंक सरपरस्त पाकिस्तान कैसे करेगा? उसका खौफजदा होना देश दुनिया देख रही है,खुदा पाक भी नापाक से खफा बहुत है,इतना ही नहीं मुक्कमल मजम्मत ए नजीर की जिम्मेदारी भारत को सौंप दी है अल्ला ताला ने।

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बुजदिल अब तेरी खैर नही!हिम्मत ने बगावत कर ली है।खंजर ने कत्ल से बगावत कर ली है।।
वैभव अमर रहे!इंसानियत जिन्दा रहे!मातृभूमि की हिफाजत में जज्बा संजीवट है।।
रे!दहशत तुझे सजदा करना होगा!
अमन ओ सुकून ने बगावत कर ली है।
सोंच तू सोंच सिन्धु ने संधि से बगावत कर ली है।।

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