शांत रहने का ही मन कर रहा है...... अब कुछ कहना जायज सा नही लग रहा है....
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बस एक नजर का फासला है तुम्हारे और मेरे दरमियाँ। तुमसे मिलने को मुझे बस आंखें बंद करनी पड़ती है।।
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वो लड़के , जो बनना चाहते थे , महबूबा के होंठों का तिल .......वो किसी मयखाने के शराबी हो गये ।।।
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कटेगा चालान तो आएँगी जद में पापा की परियाँ भी ! यहां पर सिर्फ मम्मी के हरामखोर थोड़े ही हैं !!
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हम इंसानियत के पथ पर चलकर चाँद पर तिरंगा देख रहे हैं । वो बगावत के पथ पर चलकर झंडे में चांद देखते रह गए।।
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आंसू गर आ जाये तो खुद पोछियेगा । लोग पोछने आएंगे तो सौदा करेंगे ।।
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सोचता हूँ धोखेे से जहर दे दूं । सारी ख्वाहिशो को दावत पर बुला कर।।
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रंजिसे बहुत हैं तेरे मेरे दरमियाँ ,मगर अब सुलझानें का दिल नही करता । वो कभी बेहद करीब थी मेरे ; मगर अब पास जाने का दिल नही करता ।।
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उसने दीवाना कर दिया बस एक बार देखकर । और हम कुछ न कर पाए लगातार देखकर ।।
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जब भी तुम प्रेम का इजहार करोगे ।तुम्हारी कोई भी उप्लब्धि काम नही आएगी ।।काम आएगा तो बस उसके कदमों में बैठ कर काँपते हांथो से फूल देना ।। उसकी उत्सुकता फूल में नही वह देखेगी कितने शालीन होते है पुरुष के हाँथ और बच्चो की तरह भोले भी ।।
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