साम दाम दंड भेद सूत्र तेरे नाम का गंगा माँ का लाडला तू खामखां बदनाम था कौरवो से हो के भी कोई कर्ण को ना भूलेगा जाना जिसने तेरा दुख वो कर्ण कर्ण बोलेगा
भास्कर पिता तेरे ,हर किरण तेरा स्वर्ण है वन में अशोक तू ,बाकी तो खाली पर्ण है कुरुक्षेत्र की उस मिट्टी में,तेरा भी लहू जीर्ण है देखो छानके उस मिट्टी को कण कण में कर्ण है
अपको मेरे पास आने के लिये किसी पंडित की आवशकता नहीं, मेरे दर्शन के लिये किसी मूर्ति की जरूरत नहीं, मेरी नज़र में आने के लिये तम्हें अपने शरीर की जरुरत नहीं,
आध्यात्मिक चिंतन करें और शांत मन से इस प्रकृति की देखभाल करें फिर आप मेरे नहीं, मैं आपका हो जाऊँगा