Noorsaba Ansari   (Noorsaba Ansari ✍️)
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Joined 3 December 2021


Joined 3 December 2021
19 AUG AT 21:19

और इक दिन इन साँसों ने भी साथ छोड़ जाना
जहां से आए थे, वहीं पर पहुंच जाना है,

और इक ख्वाब बन कर लोगों ने भूल जाना है
लोगों के सामने से यूं ही इक याद बन कर गुजर जाना है।

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28 JUL AT 17:47

न जाने कैसे कह देते हैं लोग
की ये लफ्ज़ मुँह से निकल गया,

जो लफ्ज़ मुँह से निकल गया
वही तो दिल पर लग गया।....

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30 JUN AT 15:59

और इस मुकुराहट के पीछे न जाने कितने मासूम से ख्वाबों के जनाजे हैं

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24 JUN AT 9:15

और जब सुबह शोर मचाएगी,
तो अपने छुप जाने पर खुद पछताओगे ।

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22 JUN AT 12:44

तुमसे मिलना इत्तेफाक तो नहीं था
मिलना और मिल कार बिछड़ना,
बिछड़ कर यादों में आबाद हो जाना
ख्वाबों में मुलाकात हो जाना,
हर इक अहसास में समा जाना
नहीं ये इत्तेफाक तो नहीं है..... ।

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9 JUN AT 12:11

उदासियों की रात अकसर बहुत तवील होती है।

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15 APR AT 9:18

जब ज़िंदगी आरजी है
तो मुश्किलात और परेशानी मुस्तकिल
कैसे रह सकती हैं
अल्लाह पर भरोसा रखे
क्योंकि हर मुश्किल के बाद आसानी है!

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4 JAN AT 20:12

कुछ इस कदर आदी है ये दिल वीरानियों का,
कि महफिलें अब इसे रास ही नहीं आती हैं !

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31 DEC 2024 AT 21:03

ऐ उम्र रवां ! सुन ठहर जरा
माजी के बदलते लम्हों से
कुछ याद के मोती चुनने दे
क्या खोया है, क्या पाया है
कुछ सौदे बाजी करने दे ...

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9 SEP 2024 AT 15:18

न सुबह, न शाम, न दोपहर है
मंजर को देख कर लगता है,
उदासियों का शहर है ।

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