और इस मुकुराहट के पीछे न जाने कितने मासूम से ख्वाबों के जनाजे हैं
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तुमसे मिलना इत्तेफाक तो नहीं था
मिलना और मिल कार बिछड़ना,
बिछड़ कर यादों में आबाद हो जाना
ख्वाबों में मुलाकात हो जाना,
हर इक अहसास में समा जाना
नहीं ये इत्तेफाक तो नहीं है..... ।-
जब ज़िंदगी आरजी है
तो मुश्किलात और परेशानी मुस्तकिल
कैसे रह सकती हैं
अल्लाह पर भरोसा रखे
क्योंकि हर मुश्किल के बाद आसानी है!
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कुछ इस कदर आदी है ये दिल वीरानियों का,
कि महफिलें अब इसे रास ही नहीं आती हैं !-
ऐ उम्र रवां ! सुन ठहर जरा
माजी के बदलते लम्हों से
कुछ याद के मोती चुनने दे
क्या खोया है, क्या पाया है
कुछ सौदे बाजी करने दे ...-
न सुबह, न शाम, न दोपहर है
मंजर को देख कर लगता है,
उदासियों का शहर है ।-
बदलते मौसमों पर अपनी उम्मीदें न रखो
दिन बारिशों के बड़े मुख्तसिर हुआ करते हैं
بدلتے موسموں پر اپنی اُمیدیں نہ رکھو
دن بارشوں کے بڑے مختصر ہوا کرتے ہیں
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मेरे रूबरू आकर यूँ न शर्माया कर
गर मोहब्बत है तो हक भी जताया कर,
मेरी मोहब्ब्त का ये इक उसूल है 'नूर'
तू अपने सारे दर्द मुझको बताया कर,
मुझे अजीय्यत देती हैं तुम्हारी ये आँखें
खुदा के लिए तू इन पर जुल्म न ढाया न कर ।-