nobita shizuka   (___khamoshiyaan___)
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इन शब्दों में तलाश ना करना मेरे वजूद को,,
मैं उतना लिख नहीं पाती जितना महसूस करती हूँ!!!
Joined 26 March 2019


इन शब्दों में तलाश ना करना मेरे वजूद को,,
मैं उतना लिख नहीं पाती जितना महसूस करती हूँ!!!
Joined 26 March 2019
8 MAY 2024 AT 14:52

सुनो,
अबकी आना तो गज़रा लाना,
ना हो सके तो फूल गुलाब का ही लाना,
अपने हाथों से तुम, मेरे बालों में सजाना,

ये महंगे तोहफ़े, ये हिसाब-किताब,
ये सब छोड़ो,
अबकी शहर जाना,
तो मेरे लिए चांद बालियां लाना,

वक्त तो तुम्हारा मिल ही जाता है. . .
एक छोटी सी ख्वाहिश है मेरी,
अबकी मिलना,
तो अपने चांद को अपने हाथों से सजाना,

तो याद है ना,
अबकी मिलना,
तो मेरे लिए गज़रा, झुमका और हां एक बिंदी ले आना,

फिर संवार के मुझे अपने हाथों से,
एक नज़र का टीका भी अपने हाथों से ही लगा जाना ।।

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26 APR 2023 AT 22:13

मैं बहती नदी, तो किनारा हो तुम,
मेरी डगमगाती कश्ती का सहारा हो तुम,

मैं ढलती शाम, तो खिलता उजाला हो तुम,
ईश्वर का भेजा कोई नेक इशारा हो तुम,

किसी का चांद, तो किसी का सितारा होता है,
मेरा पूरा का पूरा , आसमान सारा हो तुम ।।

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15 APR 2023 AT 2:13

तो बताओ,
तुम कहोगे ?
तुम्हें भी मुझ से मोहब्बत है !
या मैं मान लूं . . .
कि मेरा ये इश्क़ एक तरफा नहीं रहा ।।

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6 NOV 2022 AT 17:57

उनके चेहरे की हम क्या ही तारीफ़ करें ?
कोई उनकी आंखें देख ले , पागल हो जाए ।।

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16 AUG 2022 AT 2:57

राधा हूं मैं अपने कृष्ण की,
तुम लाख़ छुड़ाने की कोशिश भी करोगे ,
फ़िर भी कृष्ण ,
अपना राधा से दूर नहीं रह पाएंगे ।। 🦚💛

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22 JAN 2022 AT 1:41

बिस्तर पर एक जगह खाली छोड़ दी है,
रोज़ एक तकिया लगा कर वहां छोड़ देती हूं।
सोचती हूं,,
एक रोज़ उस तकिये पे तुम्हरा सर होगा,
और हर रात मैं तुम्हारी पलकों को निहारते,
कभी सो जाया करूंगी, तो कभी उन्हीं पलकों में खुद ही समा के,
सूरज की लाली से तुम्हें रूबरू कराया करूंगी ।।
.
.
.
(और हम दोनों सुकून से एक छत के नीचे
उसी बिस्तर पर एक दूसरे को ताकते और मोहब्बत करते सो जाया करेंगे ।।)

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7 SEP 2021 AT 1:56

एक पुरुष का 'पौरूष' तभी मान्य होता है
जब वह स्त्री के वस्त्र उतारने के पश्चात् उन्हें स्वयं अपने हाथों से अपनी स्त्री को पहनाए ।।

अन्यथा वह पुरुष कहलाने के योग्य नहीं है ।।

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6 NOV 2021 AT 19:37

कहा है उसने...
" इस ठंडी ख़ास खयाल रखना तुम अपना,
मेरे हाथों का बना काढ़ा,
इस बार नहीं पहुंचा पाऊंगा ।। "

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26 OCT 2021 AT 0:07


जैसे कलियां अपने यौवन के चरम पर हों,
और वसंत की पहली बयार उन्हें चूम रही हो।
और वो उस प्रेम आलिंगन में लिप्त होकर,
खुशी से अपनी बाहें फ़ैला रहीं हों,
और वसंत से अपने प्रेम का इज़हार कर रहीं हों।।

ठीक उसी प्रकार,


शीर्ष अनुशीर्षक में...

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16 AUG 2021 AT 1:50

जब जब उसकी याद आती है,
उसकी दी हुई अंगूठी को अपनी मध्य उंगली में पहन कर,
हाथों में हाथ पकड़ लेती हूं।
वो ना सही,
उसके होने के एहसास भर से ही मन शान्त हो जाता है!!

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