ज़रूरत का ऐसा ही है, जब होती है तो
दोनों जहाँ मुकम्मल लगते है,
जब नहीं होती तो, ना ख़ुद की नज़रों में एहमियत लगती है ना दुनिया की!!-
जब दिख रहा था तो बात को समझा क्यों नहीं,
ना दिल टूटता ना रिश्ता बिखरता।
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शायद अपने दर्द से इतना परेशान हो गई हूँ कि,
जो हाथ सबके लिए दुआ में उठते थे,
वो अब बस ब्दूआ मँगाते है।-
Hi hello से oye chup हो गए थे,
अजनबी से हमदर्द हो गये थे,
साथ रोए, साथ हँसने लगे थे,
आँखो ही आँखो में पूरे हो गए थे,
फिर क्यों अलग हो गए, पूरे थे फिर भी अधूरे हो गये,
थोड़ा प्यार तो उसको भी आया होगा,
मेरी कमी को उसने अपना बनाया होगा,
क्या हुआ जो हम एक ना हुए,
दर्द ने उसको भी तो सताया होगा।-
मैंने कोशिश की , उसने सराहा भी नहीं,
वो आगे बढ़ गया , मुझसे तो एक बार पूछा भी नहीं,
कैसे खो गई उसकी बातो में, ये तो अब खुद से रोज़ पूछती हूँ,
चलते-चलते इस सफ़र में गिर गई में , उसने एक बार पूछा भी नहीं।-
मैंने उसे आसमान के उस तारे में देख लिया है,
कही उसने मुझे पहचान तो नहीं लिया…
वो टिम-टीमा रहा था, चमक उसकी आज भी बरकरार है,
मैंने गोर से देखा तो रोशनी उसकी उतनी ही शानदार है,
दूर वो मुझसे , में उससे हमेशा ही रहूगी,
आसमान और ज़मीन का यही तो व्यवहार है।
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सफ़र इतना लंबा था की रास्ते के काटे चुभे ही नहीं,
शायद तब आँखे मज़िल पर थी,
लौटी तो पता चला की ग़लत रास्ते पर थी,
हा सफ़र तय था ,मंज़िल तय थी,
कब मुड़ना , कब चलना है ,
तय हर बात थी,
फिर लौट के आई तो लगा,
कुछ तो इस रास्ते में भी बात थी,
सफ़र इतना लंबा था की रास्ते के काटे चुभे ही नहीं,
शायद तब आँखे मज़िल पर थी,
लौटी तो पता चला की ग़लत रास्ते पर थी।-
रोशनी से मिलना हो तो कुछ फ़ासला तय करना पड़ेगा,
इस फ़ासले से जुड़ा रास्ता चुनना पड़ेगा,
सफ़र मुश्किल हो या आसान,तुमको थोड़ा चलना पड़ेगा,
सफ़र में कोई तकलीफ़ आए तो उससे हिम्मत से सहना पड़ेगा,
अपने सफ़र पे थोड़ासा ऐतबार करना पड़ेगा,
ख़ुशियों से भरा उस तरफ़ का समा होगा,
जहाँ तुम , हम और कामयाबी साथ मिलकर इस सफ़र की बात करेंगे,
अपने अपने एहसास कुछ इस तरह शब्दों में पिरोयेंगे,
दुनिया शान से हमारे क़िस्सों को फिर दोहराएगी,
हमें अपना और खुद को हमारा अंश बताएगी,
वो दौर वो ज़माना एक दिन ज़रूर आएगा,
रोशनी से हमारा मिलन ज़रूर हो जाएगा।
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बचपन में बचपना, उसे भी करने दोना,
ज़्यादा नहीं, थोड़ी सी सोच तुम भी बदलो ना,
उसके कदमों से तुम्हारा घर सँवर जाएगा
ख़ुशियों से तुम्हारा जहाँ निखर जाएगा,
तुम्हारे नीरस से जीवन को खुशियों से भरपूर कर देगी,
“अरे! लड़की है” ये सोच तुम भी बदलो ना,
उसकी पायल की छन-छन मुरली की बांसुरी होगी,
उसकी बोली जैसे वीणा की तान होगी,
बचपन में बचपना, उसे भी करने दोना,
ज़्यादा नहीं, थोड़ी सी सोच तुम भी बदलो ना।-
हाँ मेरा सफ़र है, में तय तो कर ही लूँगी,
अपने हक़ की तकलीफ़ तो में सेह ही लूँगी,
सुख पर हक़ जमाती हूँ, तो दुख को अपना क्यूँ ना कहूँ,
मेरी तक़दीर का रुख़ तो में मोड़ ही लूँगी,
हाँ आदत है मुझे इस सफ़र में गिर कर सहभलने की,
हाँ आदत है मुझे इस सफ़र में गिर कर सहभलने की,
मैं फिर से अपनी राह पकड़ ही लूँगी,
मत कर फ़िकर मेरी, तू अपनी राह बना,
कल में गर्व से केह सकूँ अपना ऐसा नाम बना,
सफ़र मेरा, मंज़िल मेरी, तू तो बस मेरा होसला बढ़ा,
अरे, मेरे दोस्त….
हाँ मेरा सफ़र है, में तय तो कर ही लूँगी,
अपने हक़ की तकलीफ़ तो में सेह ही लूँगी।-