अनंत प्यार पाने को
में शून्य हो जाऊं
जुड़ के तुम्हारे साथ
अपने प्यार की कीमत बढाऊँ।।
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मजहबी लोग ही तो रंगों को अलग करतें है...
हम तो 'भगवा' और 'हरा' तिरंगें में साथ देखते है-
अब बस ये तन्हा रात...
किसी नशे में ढल जाएं...
मेरी आह को
तेरी चाह मिल जाएं....-
तेरे होने से मेरा होना..
ना होने से मेरा खोना..
मुझे खुद को ढूंढ़ना
और तेरा मिल जाना
मेरी हो खुशी
और तेरा मुस्कुराना...
मेरा हो रोना
और तेरा पलके भिगोना
इस तरह
मेरा तुझमे और तेरा मुझमें
घुल जाना..
अधूरी हूँ मै...
मुझे पूरा कर जाना....
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मेरे ग़मों को साँझा कर
तू अपनी तकलीफे भूल गया...
मलाल बस इसी बात का है
बदले में हम कुछ ना दे पाए
और एक नए गम के सिवा....😢😢-
मुस्कुरा उठते है लब मेरे
जब भी पा लेती हूँ
खुद की झलक
अल्फ़ाज़ों में तेरे...-
मेरे दिल के चारो तरफ पहरे लगे है मोहब्बत के
तुम जो चाहे वो रास्ते से आ जाना...-
सुनो...
पढ़ लो ना और मुझे
अर्से से इस किताब को
किसी ने छुआ तक नही है..-
आजकल तो सब दीवाने बने है बनावट के
तू ही बता ये सादगी लेके हम किधर जाए...?-