कैसे कहूं तुम ख्वाब हो मेरा,
आंखे मूंदते जग रौशन सा लगता है,
कैसे कहूं हर राज़ हो मेरा,
खामोशी से भी कुछ छिपाए ना छिपता है,
कैसे कहूं तुम सुकून हो मेरा,
हर खुशी से अब वास्ता सा लगता है,
कैसे कहूं तुम गुरूर हो मेरा
मंजिल से भटका कोई रास्ता ना लगता है,
कैसे कहूं तुम आवाज़ हो मेरी,
बिन बोले हर बात अपनी लगती है,
कैसे कहूं तुम सांस हो मेरी,
तुमसे मेरी ज़िंदगी चलती है।
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