रात गुजर गई मगर
सबेरा न था,
वो मेरा तो था
मगर, सिर्फ मेरा न था...-
मैं बेहतर लिखता जाऊंगा,
तुम बेहतर पढते रहना बस,
जिंदा तो हम खुद में है,
औरों में मरते रहना बस,
कुछ लिखूंगा अपनी बातें मैं,
कुछ लिखूंगा मैं तुम सब के राज,
कल को छोडो़ बस समझो इतना,
जो कहना है वो कह दो आज,
कुछ बेगानी कुछ अपनी होगी,
वक्त यही तो करता है,
जो सपने देखो गर टूट भी जाय,
समझो इतना चलता है!-
इतनी मुद्दत बाद मिले हो
किन सोचो में गुम फिरते हो
इतने खफा क्यू रहते हो
हर आहट से डर जाते हो
तेज हवा ने मुझसे पूछा
रेत पर क्या लिखते रहते हो
काश कोई हमसे भी पूछे
रात गए तक क्यू जागे हो
मैं दरिया से भी डरता हूँ
तुम दरिया से भी गहरे हो
कौन सी बात है तुममे ऐसी
इतने अच्छे क्यू लगते हो!-
झुकता हूं नहीं फिर भी उसे फरियाद माना है,
उसके हर ख्यालों को मैंने याद माना है,
महज उसका नहीं हूं मैं, ये जानता हूं पर,
उसी को चाहते रहना ही मैंने चांद माना है..-
उन जज्बाती अल्फाजो से...
वो प्यार भरी बातों से...
वो गुमशुदा तलाशो से...
चलो ना आजाद कर दे तुम्हे!!
वो शर्द भरी रातो से...
वो नजरों की ढूढती तलाशो से...
चलो ना आजाद कर दे तुम्हे !!-
उसे पाया भी नहीं और खो दिया मैंने,
जहर मासुमियत का बो दिया मैंने,
गर पलट कर देख लेता वो तो हस देता मैं,
वो पलटा ही नहीं तो रो दिया मैंने,-
सब कुछ पीछे छूट रहा है,
अब तुमको पाकर क्या होगा?
आगे चलकर खुद आया हूँ,
अब पीछे जाकर क्या होगा?
मुझसे मेरा सब छीन गये थे,
अब वापस लाकर क्या होगा?-
जिसे जरूरी न हो तुम,
उसे क्या अपना बनाना?
जिनका वक्त उलझा है तमाम चेहरो में,
वो अक्सर करते हैं बहाना,
क्यों एक झलक पाने के लिए इतेंजार करते हो?
ऐसे लोगों से बेवजह ही तुम प्यार करते हो??
वो बेखबर है उन तक खबर पहुचाया न करो,
अपने दिल का हाल तुम उन्हें सुनाया न करो,
जो तुम्हारे साथ बिताये लम्हे न समझ पाए,
वो तुम्हारी जिंदगी क्या समझेंगे?
उनकी दोस्ती होती है तुम जैसे तमाम लोगों से,
वो भला तुम्हारी दोस्ती क्या समझेंगे??-
आओ बैठो मेरे साथ...
बताता हूँ क्या हो तुम
मेरे हो या ना हो तुम
कोई महकता सा गुलाब हो तुम
किसी शायर का ख्वाब हो तुम
मेरी बर्बादी का आगाज हो तुम
जितना कल थे उतना ही आज हो तुम
किसी सफर का दिलकश सुकून हो तुम
उस चांद को पाने जैसा जुनून हो तुम-