बात तो ये है
कि बात जब अपने पर आती है,
तब ही बात समझ आती है।-
जो रिश्ते निभ गए वो,
रिश्तों की अंतहीन उलझनों में,
कहीं उलझ कर रह गए,
जो रिश्ते मगर निभ न सके,
अक्सर उन्हीं में फिर,
सुकून ढूंढता है आदमी।-
हर कहानी पर बदलता है मुखौटे नए,
सच में मंझा हुआ कलाकार है आदमी।
नित नए रूप नए शब्द बदलता है,
हज़ारों चेहरे रखता है एक आदमी।-
हर कहानी पर बदलता है मुखौटे नए,
सच में मंझा हुआ कलाकार है आदमी।
नित नए रूप नए शब्द बदलता है,
हज़ारों चेहरे रखता है एक आदमी।-
गर्म सी लगने लगी जब शहर के शजर की छाँव भी,
समझ आने लगी तब अहमियत गाँव की।-
मेरे सुनाए वो किस्से जिन्हें सुन कर
मेरे दोस्त जी भर कर हंसे,
मेरी लिखी बेहतरीन नज़्मों से भी ज़्यादा,
मुझे वो किस्से अज़ीज़ रहेंगे।-
So it seems that because of less vehicles on road, less people in biodiversity areas, national parks etc , and overall a bit less population outside to dominate the nature we have more clear sky, less garbage here and there, a bit more good air to breathe and more such little goodies.
After feeling good for nature let's be hopeful for ourselves too that we will more strongly come out of this whole situation and this time we will appreciate what all we have with us.-
Humanity sits safe inside the walls,
Nature is growing beautifully wild now.-
हर बार माँ के हाथों से गर्म खाना लेते वक्त,
उन के हाथों पर जगह जगह पड़े,
गर्म तेल के छींटों के निशान देखना,
काफी होना चाहिए खुद से वादा करने के लिए,
कि तुम ज़िन्दगी भर उनका सहारा रहोगे।
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