Nitu Singh   (©Nitu Singh जज़्बातदिलके)
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Joined 5 April 2021


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AN HOUR AGO

ये दिमाग में चल रही है
हर उस सवाल का
जो घर कर रही है
मसला जो भी है
अब उसको सुलझाना है
चाहे कुछ भी हो जाए
फ़ैसला आज करवाना है
बहुत हुआ अब सबकी
मैं नहीं सुनूंगी
चुप रहकर देख लिए
अब मैं खामोश नहीं रहूंगी
अपनी हर सवाल का
ज़वाब लेकर रहूंगी

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2 HOURS AGO

अच्छी बुरी जैसी भी हूं...
पर original हूं
अपने मतलब के लिए
किसी की तरफ अपनापन
और झूठे प्यार का
दिखावा नहीं जताती..!💯✨

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YESTERDAY AT 8:26

जीवन का क्या है
हर पल खुश रहिए
और आनंद करिए
छोटी छोटी खुशियां में
शामिल होने का प्रयास कीजिए
सभी के चेहरे में
एक हसीं लाइए
बच्चों के साथ बच्चे
और बढ़ो को प्यार दीजिए
इस मतलबी दुनिया को
भाव मत दीजिए
अपनी ज़िन्दगी का मोल समझिए
अनसुनी बातों को मिट्टी पाइए
और अपनी ज़िन्दगी को
खुश होकर जीने का प्रण लीजिए

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YESTERDAY AT 8:10

दूर जा रही हूं
बिना बताए किसी को
खुद में खो रही हूं
बिना बताए किसी को
सपनों को पीछे छोड़ रही हूं
बिना बताए किसी को
सबसे नाता तोड़ रही हूं

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YESTERDAY AT 0:57

आवारगी भी कभी कभी
एक हद तक
अच्छी लगती है
दिल को दर्द देकर
वो छल करती हैं
मासूम चेहरा मीठी बातें
ऐसे वो कहती है
उसकी वो हरकतें
आंखों को नम करती हैं

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2 MAY AT 2:37

यादें क्यूं उनकी आती हैं
जो चले गए है दूर मुझसे
मौजूदगी उनकी ही महसूस करती हूं
जब भी किया उनको याद
सपने में आशीष देने आते हैं
कैसे कहूं की पापा को
मैं दिल में अपने बसाती हूं 🙏🥺

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1 MAY AT 18:40

फिर भी दर्द समेटे है
अश्क वो है जो रहे
आंख में गौहर बनकर
और टूटे तो बिखर जाएं
नगीनों की तरह

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27 APR AT 21:53

जीवन जीवन से है वंचित
जीवन वो निष्प्राण हुए
जीवन तुम बिन हो कल्पित
मृत्यु का प्रमाण हुए

आधी तुम हो, आधा मैं हूँ
आधा सा जीवन अपना है
प्रेम समर्पित दोनों जीवन
इक जीवन इक प्राण हुए

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25 APR AT 1:59

मुझे मुझसे भी ज्यादा
कभी कहता समझता था
जुदा हे आजकल मुझसे
वही मुझमें जो रहता था।

कभी वो दीद के किस्से
कभी वो हुस्न के चर्चे
कभी मुझपे गज़ल कहता
कभी वो नज़्म कहता था

बड़ी मासूमियत उसमें बसी
नेकी थी बातोँ में
हमेशा ही मेरी ख़ातिर
मुझी से लड़ता रहता था

वो साया आसमां का था
जमी पे था मेरी खातिर
उसी के तेज से मिलता मुझे
जो कुछ भी मिलता था

गया वो छोड़कर जब से
खुद में सूनी सी लगती है
है खाली दिल की बगिया भी
जो हमेशा खिलता था।

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24 APR AT 14:50

बस यादें तेरी याद रही
गुज़रे हुए लम्हें साथ रही
वह दिन कभी ना आए
जैसे हम बिछड़ गए
किसी ने पति तो किसी ने पिता खोया
किसी ने पुत्र तो किसी ने परिवार खोया
इस धर्म कि लड़ाई में
स्त्री ने अपना सब कुछ खोया
अब तो देश के वीर भी खुद
अपने ज़मीन में शहीद हुआ
हिंसा तो दूर ना हुए
पर इंसाफ़ के लिए हम आवाज़ उठाए🥺

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