सवाल घमंड का नहीं, इज्ज़त का है। कोई अगर लहज़ा बदले, तों हम राश्ता बदल देते हैं। आपकी बात और है, आपसे मोहब्बत है "जनाब" तभी आपका हर सितम सहते हैं। वरना जहां हमें अल्फ़ाज़ चुभे , वहां हम रिश्ते ख़त्म कर देते हैं। 😘🐼
बड़े हसीन थे वो पल, जब हम क़रीब थे। कुछ पल के वो मिलन में, सारी कायनात की खुशियाँ समाई थी। थाम कर हाथ हम दोनों, कुछ क़दम साथ चलें थे। कुछ पल के वो सफ़र में, जैसे जन्नत सी मंज़िल हमने पाई थी।
हाँ माना बेशक थोड़ी अजीब हूं मैं दुसरो के लिए पर अपने हिसाब से, बेहद अजिज हूं अपने लिए क्यों बदलूं मैं खुद को किसी और के हिसाब से.? जो हूं जैसी भी हूं "जनाब" बेहद ख़ास हूं मैं अपने लिए