मुझे मत बिठाओ किसी तर्क की महफ़िल मे..
मै मोहब्बत से हारा हु , जीत मुझे क्या समझ आएगी
मुझे ना आवाज़ दो किसी के घर मे सुले के लिए
मै शाम लौटता हु तो अपनी खोयी हुई आवाज़ ढूंढ़ता हु
मुझे ना ले जाओ जहाँ लोग काम की बाते करते है
मै फ़र्ज़ी हु , कुछ सुनूंगा नहीं औऱ हाँ हाँ करके चला आऊंगा
मुझे किसी तितली , किसी की दुनिया रास नहीं आती
कोई अपना इज़हार कर दिया तो उसे गुलाब देके चला आऊंगा
सडक पर लड़े दो लोग तो लड़ने दो , कोई मर रहा है मरने दो
इश्क़ ने बरसो पहले ऐसे तोड़ा है मुझे , अपनी मौत का इंतेज़ार करूँगा
कोई मुझे मेरे सामने भी उल्टा बोल दे , या मुझ पे सवाल करें..
क्या करना , मै जवाब दिये बिना घर चला आऊंगा-
.
कभी इश्क़ से राब्ताँ हुआ हो तो मुझसे राब्ताँ रखना
मै मुकम्मल मोह... read more
मुझे मत बताओ ऊपर वाला क्या खूबसूरत मुझे दे सकता है
मुझे कोई बोलेगा सामने खाई है तो मै पक्का वहाँ जाके गिर जाऊंगा
तुम मेरे पास आओगे , मेरे साथ रहोगे औऱ कल मुझसे बेहतर खोज के चले जाओगे
मै क्या आगे देखु , मै तो तुम्हारे पास रहने वालो पलो मे ही ज़िन्दगी बसर कर जाऊंगा
.
मै मर्द हु , यही मेरा दोष है..
इश्क़ कैसे संभालना है , ये तुमको मालूम होगा
कोई उससे पूछेगा तो वो अपने आज का नाम लेगी
कोई मुझसे पूछेगा तो बस उसी का नाम होठो पे लाऊंगा
.
इश्क़ क्या कोई कसक है जो पूरी नहीं हो रही मुझसे
जिस्म भी बेच दू अगर तो उसकी रूह कहाँ से लाऊंगा
-
मै जेब से खाली रहता था उन दिनों..
खुदा ने भी मोहब्बत को इस कदर आज़माया
आज ही हुए थे छेह साल हमारी मोहब्बत के..
आज ही उसका रिश्ता किसी औऱ से तय करा दिया-
मेरी हर पसंददी चीज खुदा ने छीन ली..
उसकी हर पसंदीदा चीज मुझे पसंद नहीं आयी-
तुम्हारे औऱ मेरे बीच आखिर ये ज़ज़्बा क्या है
तुम अपना नाम बताओ , तुम्हारा क़स्बा क्या है
यु जो दिहात पर शर्म कर रही हो तुम...
तुम बताओ ये तुम्हारे मकान पर धब्बा क्या है
.
इश्क़ करके पछता रही हो आज तुम
मुझे समझ नहीं आता ये "लड़की" मसला क्या है
मेरी कलम ना चल रही , ना मै अब नज़्म लिख रहा कोई..
तुम लोग ही बताओ , उसका आखिर फैसला क्या है
.
वो जब्त-ए-नफ़स मे मुझे जीने क्यूँ नहीं देती
उसके हाथ पर हाथ रखु तो रखने क्यूँ नहीं देती
उनमान मे क्या मै सिसक-सिसक कर ही मर जाऊंगा?
तुम तो मेरी जान थी एक वक़्त, आज मुझे रुमाल क्यूँ नहीं देती-
अब कोई भी उसके घर जाये..
उससे बात करें या इतराये
उसे मुबारक हमारी तस्वीरे
उन्हें देखें या पछताए
.
मै मूड कर अब देखूंगा नहीं
साथ पहले जैसा दूंगा नहीं
तारा टूट गया तो फिर कहाँ गया
अम्बर को उसका शोक नहीं
.
कोई पहेलियों मे जिस्म रखे
उस जिस्म पर सौ हाथ रखे
मै अपना हाथ हटा लिया
वो बयान मे रखे अपना इश्क़ रखे-
मै जितने मन से उसे पढता हु बैठ कर
मै उसे देख लेता एक बार तो तसल्ली मिलती
ये सादगी आदतन ही मुझे ख़ामोशी मे मार देगी
काश !! वो अगले जन्म ही सही लेकिन मुझे मिलती-
सुनो कि हम दर्द देंगे , दर्द लेंगे
क्यूँ रखे मोहब्बत मे कोई खसारा
सुनो कि हम जिस्म देंगे , जिस्म लेंगे
क्यूँ रखे मोहब्बत मे कोई खसारा
सुनो कि हम गुलाब देंगे , गुलाब लेंगे
क्यूँ रखे मोहब्बत मे कोई खसारा
बाद तेरे कोई मलाल क्यूँ रखे जाना
क्यूँ रखे मोहब्बत मे कोई खसारा
.
हाँ तौफे मे मै हार दू अपनी पसंद का
इसमें नहीं रखना हिसाब खसारे का
इश्क़ , मुद्दत , शिद्दत मैंने तुमसे रखी थी
तुम पहन लो जो पहनना है अपने मन का-
मेरे होंठ तुम्हारे खिलाफ गवाही क्या देंगे
तुम मेरी तरफ भी देखोगी तो इल्म होगा
तुम्हारे साथ तो निभा रहा था कसमो को..
इतेल्ला है तुम चली जाओगी तब तुमसे इश्क़ होगा-