जब भी तुझको लगता है डर, जय हनुमान।
नाम लिया कर हर संकट पर, जय हनुमान।।
हिम्मत हो तो दरिया भी है छोटी बात।
हो जाता है पार समंदर, जय हनुमान।।
जाने वो किस रूप में तुमको मिल जाए।
शक्तिमान गंगाधर बनकर, जय हनुमान।।-
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अब धरती पर आओगे तो प्यारे कृष्ण मुरारी । चोली में नहीं जींस टॉप में मिलेगी नारि सारी।।
बंसी से प्रस्ताव प्रेम का काम न आएगा। प्रारंभ होने से पहले ही ख़त्म करेगी पारी।।
अब धरती पर आओगे तो प्यारे कृष्ण मुरारी।
आज की राधा से सोचोगे रास रचाओगे । पहले से ही कंस खडें हैं तुम पिट जाओगे। ।
धुम्रपान और मदिरा से कैसे बच पाओगे । जसुमती मैय्या से कैसे फिर आँख मिलाओगे। ।
आज के दौर में तुमको भी छल लेगी दुनियादारी ।
अब धरती ..........
भजन नहीं अब इंग्लिश गाने गाना पड़ता है। क्लब और पब में रात बिताने जाना पड़ता है।
खाते में जमकर के पैसा रखना पड़ता है ।। मेहंगी कार में डी जे महंगा रखना पड़ता है।।
अब राधा के शौक बढें, नहीं करेगी रथ की सवारी ।
अब धरती ........
रंग लगाएंगी सब तुमको खूब रसायन वाले । पहले से ही सावले हो तुम हो जाओगे काले। ।
घूमके इनके पीछे पैर में पड़ जाएंगे छाले। मुठ्ठी में बंद कर लेगी तुम खोल ना पाओगे ताले। ।
खर्चे इनके झेलोगो तो होगी बहुत उधारी ।
अब धरती ........
ढोंगी बाबाओं से बचाना बहुत जरूरी है । धरती से अब पाप मिटाना बहुत जरूरी है।।
द्रौपदियों की लाज बचाना बहुत जरूरी है । हर दुर्जन को सबक सिखाना बहुत जरूरी है।।
ऐसी सजा दिलाना के जग हो जाऐं आभारी ।
अब धरती पर आओगे तो प्यारे कृष्ण मुरारी।।-
बंसी ये नहीं तुझको बजाने का समय है।
राधा से कहा कृष्ण ने जाने का समय है।।
धरती ने पुकारा है मुझे पाप मिटाने।
अब दुर्जनों पे चक्र चलाने का समय है।।-
यारों ने ही घर में मुझे अपवाद किया है।
मिलने पे सदा देर से आज़ाद किया है।।
वैसे तो बहुत यार हैं पर याद वो आता।
वो जो मेरी कुछ ज़िंदगी बरबाद किया है।।-
जिन कश्तियों में बैठे वही कश्ती छल गई।
तब से मेरे भरोसे की नज़रें बदल गई।।
जितना है डर परायों का उतना है अपनों से।
कुछ मछलियाँ ही कितनी ही मछली निगल गई।।-
मिटाओ अपने अपने दिल से काला रंग होली में।
लगाओ सबको अपने प्यार वाला रंग होली में ।।-
मैं जाऊंगा तो गुज़रे हुए साल की तरह।
वापस कभी न आऊंगा, पर याद आऊंगा।।-
साथ तेरी कमी का नहीं चाहिए।
रंग चाहत का फ़ीका नहीं चाहिए।।
तुझसे बस वक़्त की आरज़ू है हमें।
तुझसे तोहफ़ा घड़ी का नहीं चाहिए।।-
मेरी एक ग़लती की ख़ूब ताक पर रहता ।
मुझसे रूठ जाने की बस फ़िराक पर रहता।।
कह दिया था गुस्से में लगती हो बहुत सुंदर।
तबसे उसका गुस्सा भी उसके नाक पर रहता।।-
ये नहीं कहता के ख़ुशियों के ख़ज़ाने दूंगा।
पर तुझे बोझ कोई भी न उठाने दूंगा।।
लाखों वादे तो मैं करता नहीं तुझसे, लेकिन।
तेरी आँखों में मैं आसूं नहीं आने दूंगा।।-