Nitish Mittal   (Nítísh)
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Joined 7 April 2024


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24 APR AT 13:04

जितना सरल है उतना ही टेढ़ा है
किसी गीली मिट्टी की तरह
जिस तरह मोडना चाहो, उस तरह मोडलो
ये शब्दों का संसार है, इन्हें कैसे भी जोडलो

ये बात बढ़ा भी सकते हैं, घटा भी
आग बुझा भी सकते हैं, लगा भी
कुछ शब्द ज़ख्म गहरे कर जाते हैं
और कुछ शब्द इन ज़ख्मों पे मरहम कर जाते हैं

व्यापार से लेकर देश तक, सब बातों पर तो चलता है
सीधी बातें भी टेढ़ी लगती हैं कभी
इनका अर्थ काई तरीको से निकलता है
तुम तो बोलकर निकल जाते हो, कुछ बातें घर कर जाती हैं
कुछ के लिए मरने की, और कुछ के लिए जीने की वजह बन जाती हैं

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23 APR AT 4:06

मेरे ३ डर
१. जल्दी मर जाने का डर
हा माना एक दिन मौत ने आना है
इसे सब ने गले लगाना है
पर मैं अभी तैयार नहीं
एक भी सपना हुआ साकार नहीं

२. अपनों को खोने का डर
मेरी सपनों की पोटली में उनके भी सपने बड़े हैं
पर वजन बहुत हल्का लगता है क्योंकि वो सहारे के लिए खड़े हैं
वो सहारा अभी खोना नहीं चाहता
उनके लिए इतनी जल्दी आंखें भिगोना नहीं चाहता

३. किस्मत का डर
बाकी किसी चीज का डर नहीं, थोड़ा शक तो होता ही है
किस्मत का भी डर है थोड़ा, जो लिखा है वो होना होता ही है


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22 APR AT 9:45

पृथ्वी हमसे कहती है
मेरा भी थोड़ा ध्यान रखो
खुद को तो साफ रखते हो
मुझ को भी थोड़ा साफ रखो
क्या हो अगर सोते-सोते कचरा तुम पर डालदे कोई
हाथ तुम उठा न सको, सूरत गंदे पानी से जाए धोई
इस पृथ्वी के तो हाथ भी हम हैं, इस पृथ्वी के पैर भी हम
हम हैं अपने इस पृथ्वी के, इस पृथ्वी के गैर भी हम
ये पृथ्वी गुहार करती है कि अपनो सा व्यवहार करो
उसने जगह दे दी रहने के लिए, तुम माँ समझकर दुलार करो
भले साफ हो भले गंदी, फर्क हमें ही पडना है
जब कूडेदान में फैंक सकते हो कचरा, क्यों धरती को गंदा करना है।

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21 APR AT 23:08

जब कभी खाली बैठा कुछ सोचने जाता हूँ
मेरी हर सोच में तेरा चेहरा आ जाता है
अच्छा भला होता हुं, शांत बैठा हुआ
पल भर में तेरी यादों का बुखार चढ़ जाता है

दुख तो ये है इस बुखार की दवा ही नहीं है
या इसी बुखार में जीता रहु या यादों को भुला देना ही सही है
पर भुलाऊ कैसे, वो यादों को जिया है मैंने
हमारे रिश्ते के धागो को फुर्सत से बैठकर सिया है मेने

चलो छोड़ो, अब तो आदत सी है इस बुखार की
अगर बिमारी में भी तू देखने को मिले, तो मैं ठीक हूं बीमार ही

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20 APR AT 10:36

स्वागत है जिंदगी तेरा
एक नये दिन की शुरुआत है
छोड़ ना पुरानी बाते, बीत गई पिछली रात है
चल आ टहलकर आते हैं
थोड़े दोस्त बनाकर आते हैं
जिन्हे गले लगाना चाहते हो, उन्हें गले लगाकर आते हैं
थोड़ा पढ़ते हैं, थोड़ा खेलते हैं, थोड़ा इश्क लड़ाकर आते हैं
हम भी चीज़ हैं बहुत बड़ी, ये बात बता कर आते हैं
लिख जैसे लिखना चाहता है, ये जिंदगी तेरी लिखावट है
अब तो पन्ने भरने है मुझको, ऐ जिंदगी तेरा स्वागत है

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19 APR AT 18:46

माना तुम दूर जा रहे हो
जिंदगी में नया रास्ता बना रहे हो
पर दूर रहकर भी दूर न रहना
तुम जा तो रहे हो, पर अलविदा ना कहना

माना अब मिलना कम होगा हमारा
जितनी दफ़ा देखना चाहता हूँ, उतना तो देख नहीं पाऊँगा चेहरा तुम्हारा
पर जब भी शहर में आओ, बस मिलने चले आना
अपना दिन बनाने आओगे, हमारा भी बना जाना
और जाते-जाते कह जाना के फिर मिलेंगे कभी
ये अलविदा नहीं है, जिंदगी बहुत पड़ी है अभी।

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18 APR AT 5:04

तुम बिन जाये कहाँ
क्या हाल है दिल का, ये बताएं कहां
तेरी बातों से तो लगा रहता है मन मेरा
तेरी आंखों के बिना आंखों को डूबाएं कहा

किसी परी जैसी सुंदर, किसी झील जैसी गहरी हो
बहार से कोहिनूर हो और दिल की सुनहरी हो
सोने की आदत है अब मेरे दिल को, इसे चांदी की आदत डलवाएं कैसे
तेरे बिना किसी और से लगन लगाएं कैसे

तेरे लिए बहुत कुछ छोड़ा है, तेरे लिए बहुत कुछ छोड़ देंगे
जिन चीज़ों से तू ख़फ़ा है, उनसे भी नाता तोड़ देंगे
तेरे इश्क में भटक लिए सारा जमाना, अब अपना घर बसाए कहा
तुम अपने पास ही बुलालो ना, अब तुम बिन जाये कहा

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17 APR AT 11:27

जिंदगी में बहुत कुछ ख़राब है मेरी
इसके बावजुद मुख पर हंसी रख ये आगे बढ़ रही है
ये मुंह मोड़कर बैठी जिंदगी अब मेरी तरफ मुड़ रही है
होकर बेपरवाह नतीजो से मैं अपने करम करता हूं बस
और बेफिकर खुले आसमान में मेरी आशा की चिड़िया उड़ रही है

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15 APR AT 22:26

बहुत देर हो गई मिले तुमको
कभी-कभी यू ही याद कर लेते हैं
तुम्हारी यादों को याद कर, थोड़ा सा हंस लेते हैं
अपनी कही बातों से अब भी मन लगाते हो
भुला नहीं तुमको मैं, तुम अब भी याद आते हो

किसी से बात करते समय तुम्हारा कहा याद आ जाता है
जो देखना चाहता हूँ कब से, वो चेहरा सामने आ जाता है
पर बिना जिक्र किये तुम्हारा, तुम्हें अपने में ही छुपाते हैं
हमको तो याद आते हो, क्या हम भी याद आते हैं?

कभी कुछ देर बाद तो मिलना होगा ही तुमसे
तब पहचान पाओगे हमको, या नजरें चुराओगे हमसे
हम तो तुमको तब भी फुर्सत से गले लगाएंगे
तुम्हें कितना याद करते थे, ये मिलकर तुम्हें बताएंगे

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13 APR AT 5:38

सपनों की पोटली में कैद कुछ सपने किये
मैं चला जा रहा हूं, चला जा रहा हूं
ईन सपनों को पाने की राह है लंबी
इस राह में कुछ सपने बढाता , कुछ कम करता चला जा रहा हूं, जा रहा हूं
पाने हैं सपने तो कुर्बानियां भी देनी होंगी
जब जिस मोड़ पर मांगे जिंदगी, तब कुर्बानियां देता चला जा रहा हूं, जा रहा हूं
अब तो पाने की ज़िद है इन्हे, सर पे जुनून सवार है
इस जुनून की गाड़ी पे हुआ स्वर, मिलो चल लिया हू और मिलो चला जा रहा हू, जा रहा हू
ईस सपनों की पोटली में कैद हर सपने को सच करने मैं आ रहा हूं, आ रहा हूं

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