Nitin Singh   (nityn)
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अभी तो शुरुवात है, कुछ और लिखें कि ग़ज़ल हो जाए
Joined 17 March 2022


अभी तो शुरुवात है, कुछ और लिखें कि ग़ज़ल हो जाए
Joined 17 March 2022
20 HOURS AGO

तकलीफ अपनी बेच तुम, मेरा सुकून खरीद लो
इश्क के बदले में मैं, तेरी नफरतें खरीद लूं

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1 MAR AT 23:10

तोहमत और इनाम मुक़द्दर की हैं बातें
कोई सा भी ज़ाम पीना है मुझे
झूठी अदाकारी से तल्ख़ी हो चली है
फिर किसी शाम जीना है मुझे

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28 FEB AT 23:55

क्या है कि
मेरी उलझनें मेरे हौसले से काफ़ी छोटी है

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2 FEB AT 23:17

नींदों का खज़ाना ढूंढते तमाम रातें तिलिस्मी हो चुकी मेरी ,

पेशेवर नही, अभी ही यौवन की जादूगरी सीखी है मैने

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30 JAN AT 20:55

जलते सूरज को समंदर में छुपते देखा है
रात की छाँव में पड़े ठंडे चाँद को देखा है।

सांझ को अपनी बाहों में लिपटा,
रात की मिठास में खोते देखा है।

बसंती हवाओं ने जब गाया गीत चाँदनी का,
वो रात की रानी को सपने सजाते देखा है।

सूरज की मुस्कान है उसकी मुहब्बत,
चाँदनी चादर में, सपनों का सफर करते देखा है।

जलते सूरज को समंदर में छुपते देखा है
रात की छाँव में पड़े ठंडे चांद को देखा है।।

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27 JAN AT 20:45

लम्हे जीते हैं मगर कुछ तो शराफत से अभी
नज़रें मिलती है मगर कुछ तो नफ़ासत से अभी

शाम से सहर बदलती ये बताये कैसे
सब्र की बांध दरकती ये ज़तायें कैसे
ख़ामोशी से मगर बात को रखते है नजाकत से अभी
लम्हे जीते हैं मगर कुछ तो शराफत से अभी

दिल में जो लौ सी है फिर उसको बुझाएं कैसे
बेकली सीने में दफन ये उसको सुनाएं कैसे
पन्ने रक्खे हैं मोहब्बत के हिफाजत से अभी
लम्हे जीते है मगर कुछ तो शराफत से अभी

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26 JAN AT 10:37

चंद लफ़्ज़ों का बस शायर हूं,
जज्बातों को खुल के बयां करता हूं।

बेसबब सन्नाटों से, शब्दों की बहती बातें हैं।
ख्वाबों का जहाँ, मेरी रूह में ही बसता हूं।

साया बनकर छूता हूं आपके जिन ख्वाबों को,
पन्नों की रंगत पे, हर ग़ज़ल को अर्थों में पिरोता हूं,

चंद लफ़्ज़ों का बस शायर हूं,
कविता की बनी राहों में लबों से निकलता हूं

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20 JAN AT 21:27

तुझे समझने के लिए, पीना पड़ेगा
माहौल क़ातिल है मगर जीना पड़ेगा

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20 JAN AT 0:14

मैं शायरी करूँ और खूँ से लिखूँ
तुम बात कहो मैं दिल से लिखूँ

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19 JAN AT 23:43

कुछ राज़ दफ़्न ही रहे ये अच्छा
कुछ लाश कफ़न ही रहे ये अच्छा

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