इस देश के हर एक हिन्दू को अब ये आवाज उठानी होगी,
ये हिंदूस्तान हमारा है यह अलख हर दिल में जगानी होगी।
ये बाबर हुमायूँ की औलादो को औकात उनकी दिखानी होगी,
दहसत में थे जो हिन्दू अब तक वह अब हर दिल से मिटानी होगी।
नहीं महफूज हम हिन्दू राष्ट्र में तो फिर किस काम की ये हिन्दू सत्ता है।
दहक उठी है चिंगारी अब इस ज्वाला को न बुझ जाने दो,
पहलगाम मुर्शिदाबाद में हिन्दू भाइयों की आहुति को यूँही व्यर्थ न तुम जाने दो।
बहुत निभा लिया भाईचारा,अब तुम नरसंहार करो।
मिटा डालो हर एक जड़ तक को इन मुल्लों की,
अखण्ड भारत का फ़िर पुनः तुम निर्माण करो।
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में लिखकर अपने जज़्बात कह लेता हूँ।
🎂🎂Wish me on 27 July
Di... read more
इस धरा का सब यहीं धरा रह जाएगा,
मिट्टी का ये पुतला मिट्टी में मिल जाएगा।
क्या अमीर क्या गरीब हर कोई जीवन को तरसेगा,
जब फिर कभी कुदरत का कहर बरसेगा।
क्या करेगा उस दौलत का तू जब अपना ही न होगा साथ खाने को।
किस काम का रहेगा तेरा महल जब रहने वाला ही नहीं होगा साथ निभाने को।
एक बार प्रकृति की सीख ने थाम दिया सारे संसार को,
न जाने बन्द करा दिया कितनों के व्यापार को।
फिर मत खेल प्रकृति से तू ये आपदा सीख देती है,
खाली जगह या दौलत की वस्तु नहीं ये वृक्ष ये बात हमें सिखाती है।
मत काँट इन बेजुबान वृक्षों को ये प्रकृति के मित्र हमारे हैं,
समझ जा इनकी कीमत को तू ये जान से भी प्यारे हैं।-
पापा! अपना प्यार कभी नहीं दर्शाते,सख्त है वो बस यही दर्शाते।
यूँ तो बड़े कठोर है पापा हर दर्द सह लेते हैं, पर बच्चे की जरा सी भी चोट नहीं सहपाते।
सारा खजाना अपना परिवार पर है लुटाते,पर अपने लिये नई कमीज नहीं सिलाते।
काल भी मेरा क्या बिगाड़े गा, मुझे ये विश्वास है जब तक मेरे बापू तेरा शाया साथ है।-
यूँही कट जाएगा ये सफर,बस तुम साथ चलते रहना।
आसां हो जाएगी हर डगर,बस तुम हाथ थामे रखना।
छट जाएंगे गम के हर बादल,बस तुम अपना साया साथ रखना।
खुशी मिले या गम बाँट लेंगे हम,बस तुम यूँही साथ निभाए रखना।-
मेरी बिटिया जब आ-आ कर चहकती है,
तो सारा घर खुशहाली से भर देती है।
एक मुस्कान से उसकी हमारी घर की बगिया महक जाती है।
वो जब लिपट कर प्यार से मुझसे चिपक जाती है,
जमाने की हर खुशियां मुझे मिल जाती है।
ये खुदा तेरा बहुत शुक्रिया जो तूने मुझे इतना धनवान कर दिया,
दुनिया का सबसे अनमोल रतन मेरे नाम कर दिया।-
माँ का दिन भला ये भी कोई बात होती है,
अरे माँ से ही तो हर पल की शुरुआत होती है।
पहले 9 महीना पेट में पालती है फिर हर पल हमें संभालती है।
आँचल से अपने वह बच्चों की हर वला को टालती है।
किलकारी सुनकर मेरी वह भूख पेशाब को समझ लेती है,
ज़्यादा पढ़ी लिखी भले न हो माँ पर बिन कहे मेरा मन पढ़ लेती है।
भूखा में रहूँ विचलित वह हो जाती है,
मेरा बच्चा भूखा होगा सोचकर नींद कहाँ उसे आती है।
कहने को तो सबसे छोटा शब्द है माँ,
पर इस छोटे शब्द में ही तो सारी दुनिया समायी है।
अब हर जगह तो भगवान नहीं पहुंच सकता तभी तो उसने माँ बनाई है।-
दूर रहकर भी वह शख्स हर पल मेरे साथ रहता है,
मेरा न होकर भी वह मुझमें वास करता है,
धोखेबाज नहीं थी मेरी मोहब्बत,
ख्यालों में था जो शख्स मेरे वो अब भी मुझसे प्यार करता है।-
मत खोदो अतीत को मेरे घाव बहुत है।
दिखता भले न हो पर ये चुभता बहुत है।-