Nitin Gupta   (नितिन गुप्ता 'फ़रोश')
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3 JUN 2021 AT 18:30

दरख़्त काटकर मॉल बनाएंगे
फिर सांस बेचकर पैसा कमाएंगे

मां बाप जिनके जा चुके है
सोचो वे बच्चे किधर जाएंगे

तरसते थे हम आने को घर पे
अब घर से बाहर कब जाएंगे

गिनती सीखने वाले बच्चों को
हम 2019 लिखना नही सिखाएंगे

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30 MAY 2021 AT 12:20

दरख़्त काटकर मॉल बनाएंगे
फिर सांस बेचकर पैसा कमाएंगे

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11 MAY 2021 AT 10:28

गुज़र रही है, भाग दौड़ में जिंदगी
और खो चुकी है, बेशकीमती ज़िंदगी

कोई मुझ में , कोई तुझ में ढूंढ रहा
और ज़िंदगी खुदको बताती ज़िंदगी

ज़िंदगी में है नशा, या है नशे में ज़िंदगी
देखे चलो खंगालकर,नई पुरानी ज़िंदगी

आशिकी का जो सबब हमको मिला
सबको बताना है वो सारी ज़िंदगी

वो दूर बैठी , नज़रे मिलाने से बचे
मैं उसमे देखूं , अपनी सारी ज़िंदगी

झूठ एक मेरे शहर में चल पड़ा है
जितनी महंगी , उतनी बेहतर ज़िंदगी

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4 APR 2021 AT 13:40

गर्म कपड़ों पर खर्चा जियादा होगा
शादी का महीना हम जून तय करेंगे

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19 NOV 2020 AT 23:32

मुझे उसका हुनर कुछ इसलिए भी सता रहा है
कि वो मेरे राज मुझसे बेहतर कैसे बता रहा है

एक वो अजनबी है, जो कह रहा है स्टैंड उठालो
एक तू मेरा अपना है, मुझे जान बूझ के गिरा रहा है


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13 OCT 2020 AT 22:25

बढ़ती उम्र का' तकाज़ा नही हो रहा
मैं छन रहा हूं , ज़ाया नही हो रहा

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9 OCT 2020 AT 15:52

सही थे सब कहानी बताने वाले
लौट कर नही आते , जाने वाले

खुद को बेचेगा, या तो जमीं को
गरीब के घर आ रहे है लड़के वाले

मेरे खूं की फरियाद करने वाले
मर गए हमे याद करने वाले

कहाँ गयी वो भीड़ मुशायरो की
कहाँ गए वो इरशाद करने वाले

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6 AUG 2020 AT 18:20

शब-ए-फ़िराक़ मेरे हाथ को तुमने तकिया बनाए रखा
तुम' जाग सकती थी ' सो हमने खुद को जगाए रखा |

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28 JUL 2020 AT 19:07

एक शर्त है कि हर रोज चुमुंगा तुम्हे
मुझे मीठा पसन्द है ' खाने के बाद

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13 MAY 2020 AT 17:44

हम तेरे शहर आए और तुझसे ना मिले
लगा जैसे मर गए और खुदा से ना मिले

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