दरख़्त काटकर मॉल बनाएंगे
फिर सांस बेचकर पैसा कमाएंगे
मां बाप जिनके जा चुके है
सोचो वे बच्चे किधर जाएंगे
तरसते थे हम आने को घर पे
अब घर से बाहर कब जाएंगे
गिनती सीखने वाले बच्चों को
हम 2019 लिखना नही सिखाएंगे
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गुज़र रही है, भाग दौड़ में जिंदगी
और खो चुकी है, बेशकीमती ज़िंदगी
कोई मुझ में , कोई तुझ में ढूंढ रहा
और ज़िंदगी खुदको बताती ज़िंदगी
ज़िंदगी में है नशा, या है नशे में ज़िंदगी
देखे चलो खंगालकर,नई पुरानी ज़िंदगी
आशिकी का जो सबब हमको मिला
सबको बताना है वो सारी ज़िंदगी
वो दूर बैठी , नज़रे मिलाने से बचे
मैं उसमे देखूं , अपनी सारी ज़िंदगी
झूठ एक मेरे शहर में चल पड़ा है
जितनी महंगी , उतनी बेहतर ज़िंदगी
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मुझे उसका हुनर कुछ इसलिए भी सता रहा है
कि वो मेरे राज मुझसे बेहतर कैसे बता रहा है
एक वो अजनबी है, जो कह रहा है स्टैंड उठालो
एक तू मेरा अपना है, मुझे जान बूझ के गिरा रहा है
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सही थे सब कहानी बताने वाले
लौट कर नही आते , जाने वाले
खुद को बेचेगा, या तो जमीं को
गरीब के घर आ रहे है लड़के वाले
मेरे खूं की फरियाद करने वाले
मर गए हमे याद करने वाले
कहाँ गयी वो भीड़ मुशायरो की
कहाँ गए वो इरशाद करने वाले
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शब-ए-फ़िराक़ मेरे हाथ को तुमने तकिया बनाए रखा
तुम' जाग सकती थी ' सो हमने खुद को जगाए रखा |
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एक शर्त है कि हर रोज चुमुंगा तुम्हे
मुझे मीठा पसन्द है ' खाने के बाद
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हम तेरे शहर आए और तुझसे ना मिले
लगा जैसे मर गए और खुदा से ना मिले
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