गुज़र रही है, भाग दौड़ में जिंदगी
और खो चुकी है, बेशकीमती ज़िंदगी
कोई मुझ में , कोई तुझ में ढूंढ रहा
और ज़िंदगी खुदको बताती ज़िंदगी
ज़िंदगी में है नशा, या है नशे में ज़िंदगी
देखे चलो खंगालकर,नई पुरानी ज़िंदगी
आशिकी का जो सबब हमको मिला
सबको बताना है वो सारी ज़िंदगी
वो दूर बैठी , नज़रे मिलाने से बचे
मैं उसमे देखूं , अपनी सारी ज़िंदगी
झूठ एक मेरे शहर में चल पड़ा है
जितनी महंगी , उतनी बेहतर ज़िंदगी
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