हर एक प्रेमी को
चुम लेना चाहिए अपनी प्रेमिका का माथा ,
ईमानदारी से ।
अनायास ही ,
भर लेना चाहिए वस्ल को बांहों में ।
दुखों पर उड़ेल देना चाहिए
वात्सलय निस्वार्थ भाव से ।
दे देना चाहिए गुलदस्ता
प्यार से, महकते गुलाबो का ।
थाम लेना चाहिए हाथ ,
युहीं राह चलते हुए सड़को पर ।
और जाते - जाते टहर जाना चहिए
कुछ पहर को ।
क्यूंकि कहा जाता है
स्त्री को प्रेम धीरे - धीरे होता है
तब तक प्रेमी उकता जाता है ,अपनी प्रेमिका से
ढूंढ लेता है ,किसी रक़िब का सहारा ।
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