Nitika Tanti  
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Poetry_life_chai
Joined 11 December 2016


Poetry_life_chai
Joined 11 December 2016
22 JAN 2022 AT 19:58

माँ सब कुछ होती है
संस्कार ,लाड़ ,प्यार और दुलार
स्नेह ,सहनशीलता और हिम्मत
लेकिन माँ एक पुलया भी होती है
जो जोडती है दो रिश्तों को - नितिका

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10 DEC 2021 AT 5:50

मुझे जिन्दगी से कभी - कभी बहुत बेचैनी होनी लगती है जैसे अचानक से जिन्दगी तेज़ हो जाएं तो हालांकि बड़े शहरो में अक्सर जिन्दगी तेज़ ही होती है । शायद लोग भागते ज्यादा है और जीते कम है । एक अंग्रज़ी टर्म है रिफ्लेक्ट बैक मैं अक्सर कोशिश में लगी रहती हूँ कि रिफ्लेक्ट बैक कर सकू । कई दफा यह भी होता है कि जिंदगी चलती रहती है किसी रेल के तरह जहां हम महसूस करना भूल जाते है बस भागते रहते है एक भेड़चाल में । सारा खेल महसूस करने का ही है इसलिए बहुत सारा जीने के बाद मुझे जीवन में टहराव चहिए होता है

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18 OCT 2021 AT 21:34

अक्टूबर की सुबह 
कैसी होती है ?
मन्दिर से आती घण्टी की आवाज़ 
जमीन पर फैला शिउली  का फूल    
दूर से आती धूप की खुशबू 
दुर्गा' माँ की प्रतिमा 

यह कुछ बचपन की यादे | 
बैंगलोर शहर का अक्टूबर 
हल्की बारिश और धूप
कैफ़े और साथ 
कोमल स्पर्श 
धीमी स्वर में बजता गाना 
क्षितिज तक फैली सिटी लाइट  
और गुलाबी चादर में सिमटा शाम 
बता दू बैंगलोर की 
शाम बहुत सूंदर होती है | 
दोस्तों के साथ मस्ती
 और लम्बी बात - चित 
शांत ,विराम ,शून्य 
अक्टूबर सुकून है  - नितिका तांती 

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3 OCT 2021 AT 16:05

हर एक प्रेमी को
चुम लेना चाहिए अपनी प्रेमिका का माथा ,
ईमानदारी से ।
अनायास ही ,
भर लेना चाहिए वस्ल को बांहों में ।
दुखों पर उड़ेल देना चाहिए
वात्सलय निस्वार्थ भाव से ।
दे देना चाहिए गुलदस्ता
प्यार से, महकते गुलाबो का ।
थाम लेना चाहिए हाथ ,
युहीं राह चलते हुए सड़को पर ।
और जाते - जाते टहर जाना चहिए
कुछ पहर को ।
क्यूंकि कहा जाता है
स्त्री को प्रेम धीरे - धीरे होता है
तब तक प्रेमी उकता जाता है ,अपनी प्रेमिका से
ढूंढ लेता है ,किसी रक़िब का सहारा ।

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8 SEP 2021 AT 18:06

दुःख गठरी के तरह होता है एक इंसान के अंदर । दुःख को सुना जा सकता है ,समझा जा सकता है ,महसूस किया सकता है लेकिन सहना उसी इंसान को होता है जो कि दुःख के गठरी का बोझ उठाए हुए है । बेशक दुःख इंसान को बदल देता है लेकिन आप किस तरीके से बदलाना चाहते है वह आप पर निर्भर करता है ।
दुःख बहुत देर तक नहीं ठहराता आपके पास जैसे कोई प्रेमी । वह चला जाता है लेकिन उसका दुःख आपके पास शेष रह जाता है । वक़्त दर वक़्त उस दुःख से आप दोस्ती कर लेते है और यादेँ धुँधली पर जाती है। एक दिन वह दुःख फूल बन जाती है और आप बेहतर इंसान

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28 AUG 2021 AT 15:12

हम दो लोग थे
बिल्कुल एक से
लेकिन दो धूरी में चलते हुए
लट्टू सी
चकरी काटी ,घीनीं बनाई
साथ में ।
लेकिन हम दो लोग थे
दो धूरी पर नाचती हुए ।
हमने कोशिश की ,एक हो जाए ।
लेकिन हम दोनों की शर्ते
अलग - अलग
क्यूँकि हम सामाजिक जानवर थे
हम अड़े रहे है, अपने - अपने शर्तो पर
लट्टू के तरह नाचते हुए
एक होने के लिए
दो अलग धुरी पर ।

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23 AUG 2021 AT 19:36



सबसे कठीन होता है सच लिखना ,झूठ फरेब तो हम बना सितारे लगा तो लिख ही लेंगे मुश्किल है चीजे जैसे हैं । हूँ बहु कागज पर वैसा ही उतारना ।

हमें ना मानते हुए भी मानना पड़ेगा कि भारत में लड़का होना कहीं ना कहीं privilege वाली बात होती है आज भी अगर मोहल्ले में लड़की पैदा हो गई तो लो भए ! सबके मुँह उतर जाते है जैसे कोई गुनाह हो गया हो ।

21वी सदी का हवाला नहीं दूंगी क्यूँकि समाज में ऐसे चिजे
आज भी है हर जगह है गांव शहर सब ,बस जहां सोच बदली है वहां बेटियों को प्यार और शिक्षा मिला है जोकि यह खुश किस्मती की बात मानी जाती है पर यह तो बेशिक आधिकार होना चाहिए हर इंसान का ।

खैर बेटियों का स्ट्रगल तो जनम से शुरू हो जाता है इसलिए भी उन्हें ज्यादा प्यार मिलना चाहिए मेरा मनना है

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12 AUG 2021 AT 15:55

किसी को वस्ल मिला तो साथ नहीं
कोई ताऊम्र वस्ल के फिराक में भटकता रहा

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12 AUG 2021 AT 15:53

किसी को वस्ल मिला तो साथ नहीं
कोई ताऊम्र वस्ल के फिराक में भटकता रहा

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14 JUN 2021 AT 17:35

मुझे नहीं पता
हमारा प्यार कब तक साथ रहेगा 
पर तुम्हे में हमेशा प्यार करती रहूंगी 
तुम्हारा वात्सयल अतुल्य है। 
जब मैं अकेले छत पर रहती हु,
शामे  तन्हा , लैपटॉप और चाय 
अमूमन तुम मेरी गोदी में आ बैठते हो
तब तुम अपने प्रेम से मुझमें 
जीवन भर देते हो।  
कभी मेरी कुर्सी के निचे 
कभी युही  अपने सिर को हिलाना 
हाय ! तुम्हारी आंखे 
ममता भर देती है मुझमें ,
इस बेज़ार से दिल में  ममता 
जो भी प्रेम उत्पन होता है 
सब उड़ेल देती हू तुमपर 
क्यूंकि मेरी आँखों में 
दर्द के सिवा कुछ भी नहीं 

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