Nitika Nishchay Jain   (Nitika (Words on Wings))
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Joined 26 April 2019


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19 MAR AT 6:02

हर रोज़ जीते गए हर रोज़ मरते रहे,
बस इसी तरह हम ज़िन्दगी के दायरे पार करते गए..
हर दिन एक सा है कुछ अलग नहीं,
मगर फिर भी कुछ अलग पाने की चाह में,
हम उम्मीदों के प्याले भरते रहे...
अगर ये आदत है तो आदत ही सही,
हम इसी आदत की गुलामी सरेआम करते रहे..
हर रोज़ जीते गए हर रोज़ मरते रहे,
बस इसी तरह हम ज़िन्दगी के दायरे पार करते गए...

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18 MAR AT 10:03

इस रात के पहलू में एक अजब सा सन्नाटा है,
मानो कुछ कहता हो मूझसे,
अगर ध्यान से सुनो तो एक मीठा सा साज़ है,
नहीं तो बस दूर से आती इक आवाज़ है..
शायद मेरे ख्वाबों और अरमानों की पुकार है,
अब बस ज़िन्दगी की यही एक दरकार है,
कि या तो ये रात ढल जाए,
या फिर ये रात जलती रहे,
मगर तू मेरे ख्वाबों को रौशन कर जाए...

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18 SEP 2024 AT 21:35

Silent whispers in the night,
Peaceful stars that softly gleam,
Across the sky they take their flight,
Carrying with them every dream,
Endless wonders to redeem.

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12 SEP 2024 AT 23:53

बस चाँद, सूरज और तारों को देखने में ज़िन्दगी गुज़ार दी,
और अपने अंदर की रौशनी को अनदेखा करते रहे,
यूँही हर रोज़ हम फ़साना बनते गए...

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26 AUG 2024 AT 20:59

सब कहते हैं आज मेरा जन्मदिन है,
पर मेरे लिए तो बस वही meetings से घिरा आम दिन है,
जहाँ बस बनावटी मुस्कान है,
सबको बस काम से ही दरकार है,
इंसानी जज़्बात की किसे परवाह है...
जन्मदिन का उत्साह तो सिर्फ़ बचपन में हुआ करता था,
जब सब कुछ ख़ास हुआ करता था,
जन्मदिन का बेसब्री से इंतज़ार हुआ करता था,
वो कागज़ की प्लेट पे समोसा, चिप्स और पेस्ट्री से ही party का असली मज़ा हुआ करता था,
वो school में टॉफी बांटने से ही special feel हो जाता था,
और दोस्तों के साथ तो जन्मदिन भी मानो एक त्यौहार हुआ करता था..
आजकल तो बस facebook और whatsapp पर ही बधाई पढ़कर खुश होने की कोशिश करती हूँ,
क्यूँकि अब शायद यही new normal है,
या शायद हमारे पास अपनों के लिए ज़रा time कम है...

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4 AUG 2024 AT 21:41

ये दोस्त ज़िन्दगी के हर पढ़ाव पर ज़रूरी हैं,
फिर चाहे वो बचपन की शरारतें हों,
या जवानी की बगावतें,
या फिर समझदारी भरी सलाहे हों,
या बुढ़ापे की दवाएं...
चाहे कितनी भी दूर चले जाएँ,
मगर दिल के हमेशा करीब होते हैं,
ग़र ज़िन्दगी सूरज की तपती धूप है,
तो हवा के ठन्डे झोंके हैं ये दोस्त...
सारे रिश्ते एक तरफ़,
और दोस्तों के साथ गुज़ारे लम्हें एक तरफ़,
ऐसी ख़ुशी बरसाते हैं ये दोस्त,
हाँ, बड़े याद आते हैं ये दोस्त...

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3 AUG 2024 AT 22:30

तेरे दिल की क़िताब के सफहे पलटते रह गये,
मगर हमें कहीं अपना नाम ना मिला,
हर हर्फ़ अजनबी सा लगा,
हमारी वफ़ाओं का हमें यही सिला मिला...

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31 JUL 2024 AT 3:28

ऐ जाने हयात तू कब से रक़ीब हो गया,
तुझे तो अपना समझा था हमने,
मगर तू तो गैरों का नसीब हो गया...
अब हो ही गया है जो अजनबी तो ये सुन,
हमारी खाहिशों को कुचलने का कोई मंसूबा तो ना बुन..
तेरी जफ़ओं ने चुन चुन के नोच डाली हैं ये धड़कने,
मगर इस दिल के टुकड़ों में जान अभी बाक़ी है,
तुझको पाने की आस अभी बाक़ी है..
सौ कुफ़्ल लगाएं हैं तेरी जुदाई ने हमपे,
मगर तेरी कुर्बतों से ये खुल जाएंगे,
बस इसी उम्मीद पे ज़िंदा हैं,
कि एक दिन तुझे फिर से हम पा जाएंगे...

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30 JUL 2024 AT 3:43

इन दश्तों और पहाड़ो में रह गयी,
हमारी हस्ती इन चिनाबों में बह गयी,
ढूँढा तो बहुत इसे ज़िन्दगी की राहों पे,
मगर हमारी जुस्तजू में कोई कमी सी रह गयी...

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29 JUL 2024 AT 22:00

दिल कहता है कि काश इस ग़ार में रह जाऊँ,
तारीखों के पंन्नों में कहीं ग़ुम हो जाऊँ,
इसके रंगो में छुपे राज़ भूझ कर ले आऊँ,
मगर फिर क़िताब- ए- ज़िन्दगी सामने आ जाती है,
और दिल बेचारा आज और कल के पन्नों में उलझ कर रह जाता है...

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