Nitika Nishchay Jain   (Nitika (Words on Wings))
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Joined 26 April 2019


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29 APR AT 1:02

तब तक जब तक सुकून दे,
पर जब दीवारें चिल्लाने लगे,
तो वो सुकून भी आहों में बदल जाता है..

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28 APR AT 9:15

शोर बहोत है चारों तरफ़,
मगर दिल ना जाने क्यूँ खामोश है,
कहना तो चाहता है बहोत कुछ मगर,
क़म्बख्त लफ्ज़ ही आज ख़ानाबादोष हैं...

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23 APR AT 8:16

रात को भी गले लगाओ,
मेरे आते ही उसे मत भूल जाओ,
क्यूँकि तुम्हारी तनन्हाइयों की
असली साथी तो वही है,
मैं तो बस ज़िम्मेदारियों का पुलिंदा साथ लाती हूँ,
हर रोज़ सूरज की रौशनी की आढ़ में...

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18 APR AT 3:33

बस हिसाब माँगा करती है हमसे,
तनन्हाइयों के आलम का..

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18 APR AT 3:30

सभी रास्तो पर अंधेरा छाया हुआ है,
तेरी रौशनी के बिना...

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1 APR AT 19:47

दर्द तो बहोत होता है,
मगर वो दिल ही क्या,
जो ज़रा सा दर्द ना सह सके...

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20 FEB AT 8:43

एक ज़माना वो भी था,
जब तेरी नज़रें एकटक हमें देखा करतीं थीं,
हमारे दिल की हर पहेली को भूझा करतीं थीं,
हमारी हर साँस से वाबस्ता हुआ करतीं थीं,
और एक ज़माना ये भी है,
साथ बैठे हैँ मगर साथ होने का एहसास गुम है,
दिल तो है मगर धड़कनो की आवाज़ बंद है,
हमारे दरमियाँ मोहब्बत तो है मगर जज़्बात कम हैं...

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20 FEB AT 7:45

To my younger self...

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19 FEB AT 2:58

In a beautiful dream I dwell,
With views that whisper tales to tell..
With gratitude, my heart does swell,
For the love and joy, in which I dwell...
Thankful for what I have, I hold dear, I confess,
And what I don't, I do not stress...
With life's lessons and teachings to imbibe,
I am crafting a dream, uniquely mine,
Beyond the material, beyond the stars.
In love, in joy, in moments so dear,
In the beauty of nature, none can compare.
So here's to the journey, the laughter, the tears,
To the love that grows stronger with the years.
Grateful for every moment, every day,
For this beautiful life, in every way.

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10 FEB AT 7:44

काश कि हम वो पहले से हम होते, और तुम वो पहले से तुम होते,
काश आज भी वो पहला सा समा होता,
तो फिर दिल की आहों में ये ख़्वाहिशे ना गुम होतीं...
काश कि तुम्हारी धड़कने आज भी हमसे जुड़ी होतीं,
तो फिर हमारी साँसे यूँ ना थमी होतीं..
काश कि आज भी ख्वाबों के दरीचों पे तुम्हारी मुस्कुराहट की दस्तक होती..
तो फिर चाँद की कुछ अलग ही चमक होती,
और अंधेरों के सन्नाटों में भी रौशनी की खनक होती ..
काश कि ज़िन्दगी में इस 'काश' की ज़रूरत ना होती,
तो फिर हमारे चेहरे पे भी खूबसूरत सी दास्तान लिखी होती..
काश कि वो पहले से हम होते, और तुम वो पहले से तुम होते...

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